गोचाली परिवार ओ सुर्खेती
मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’
१. गोरी डराइ
नेपाल एकठो बहुजातिक, बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक एवम् बहुपहिचान रलक मुलुक हो । वि.स. २०७८ सालके जनगणनाअनुसार नेपालम १४२ जातजाति बा । भाषा आयोगके प्रतिवेदन २०७६/०७७ अनुसार १३१ भाषा जीवित बोलचालके अवस्थाम बा । जनसंख्याके दृष्टिले थारु भाषा चौथौ स्थानम परठ । सरकारी तथ्याङ्क २०७८ सालके जनगणनाअनुसार १८ लाख सात हजार एक सय २४ अर्थात ६.२ प्रतिशत थारुनके जनसंख्या बा । थारु मातृभाषा बोलुइयनके जनसङ्ख्या १७ लाख चार हजार ९१ जन अर्थात ५.८८ प्रतिशत किल बाट । तर थारुनके छाता संगठन थारु कल्याण कारिणी सभाके दाबी करिव ३७ लाख बराबर रलक कर्ति अइल बा । वि.सं.२०७८ सालके जनगणनाअनुसार सुर्खेत जिल्लाके कुल थारुनके जनसङ्ख्या ७,८८३ बा कलसे वीरेन्द्रनगर नगरपालिका बैस्ना थारुनके जनसंख्या सात हजार ५१ संख्या रहल बा । नेपालके विभिन्न २५ जिल्लाम बैस्टी अइल बाट । विभिन्न जिल्लाम रलक थारुमध्ये सुर्खेतिक थारु डंगौरा हुइट । दाङसे सुर्खेतम कैह्या अइल कना बातम विवादित मत पाजाइठ ।
कहाँसे अइल सुर्खेतके थारु ?
द्रोण रजौरेके अनुसार दाङ बैबाङके एकजहनके कहल अनुसार जगरनथ्याह सुन्दर पश्चिउके पहाडी भागम बसोबास कर्ना मनैन बग्घ्वाह पुज्ना कर्ठ । पाछक प्रगन्ना देशबन्ध्या गुरुवा रामसरण चौधरीक अनुसार दाङम पाछक काल (समय)म पश्चिउ दाङम बहुतसे बग्घ्वा लग्ना कर्लक ओहर्से सुर्खेतसे राजी जातिन झिकाख थारुनम सम्मिलित करागिल ओ देशबन्ध्या गुरुवा बनागिल । पछिल दाङ्गी (पश्चिम दाङ) के जगन्नाथपुरीमसे सुर्खेत अइलक हुइट कना कहाइ बा ।
सुर्खेत दर्पण पुस्तकअनुसार दाङसे सुर्खेत अन्ना काम यहाँक पटुवारी भक्तविर श्रेष्ठ ओ डिठ्ठा कृष्णलाल पन्त वि.स.१९७५ म अन्लक हुइट कैगिल बा । शिवनाराय बि.सी.के लिखल ‘सुर्खेतको थारु जाति’ कना विद्यावारिधीके शोधपत्रम वि.स.१९६० ओहर दाङसे सुर्खेत अइलक उल्लेख कर्ल बाट । थारु कल्याण कारिणी सभा सुर्खेतद्वारा प्रकाशित डौनाबेबरी (२०६२) पत्रिकाम दाङसे वि.स. १९५० ओहर अइलक बात उल्लेख बा । असिक सुर्खेतके थारु दाङ जिल्लासे छारा कैक अइलक बातम दुई मत निहो ।
सुर्खेतके थारु मुलतः डंगौरा हुइट । दाङक थारुनके रीतभाट, संस्कृतिसे मिल्ना सुर्खेतके थारु कर्णाली प्रदेशके एक मौलिक पहिचान ब्वाकल जात हुइट । सुर्खेतके उपत्यकाम लग्ना औलो, मलरिया, प्रचण्ड गर्मीसे संघर्ष कैक खेतीयोग्य जमिन बनैना थारुनके सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक तथा आर्थिक अवस्थाम कमजोर बाटिन् । वि.सं. २०२२ सालम तत्कालीन नेपाल सरकार औलो उन्मूलन करल । यकर पाछ विभिन्न पहाडी जिल्लसे और जातिन्हक आगमन हुइलक हो । बुह्रापाकनके कहाइअनुसार उहीसे आघ उपत्यकाम थारु जाति बाहेक और जातिनके बसोबास निरलहिन् कना बाट स्पष्ट हुइट ।
सुर्खेत उपत्यकाम बैस्ना थारु जातिके परिचय
नेपालम आदिम समयमसे बैस्टी अइलक थारु जाति सुर्खेत उपत्यकाके थारु फे यहाँक मूल आदिवासी हुइट । वीरेन्द्रनगर नगरपालिकाको वडा नं.२, ३, ८, ९, १०, ११ मा बैस्ना थारुने बस्ती हाल यहाँ ३८ वटा गाउँ रहल बा । उपत्यकाम केल बैस्ना यहाँक थारु वडा नं. २, ३,९ र १० म सघन बस्ती बा कलसे वडा नं. ८ म एक एक ठो किल गाउँ रहल बा । उपत्यकाके जमिन खेती योग्य रलक कारण यहाँक थारु कृषिम निर्भर बाट । यी उपत्यकाम बसोबासके दृष्टिले वि.स.२०२२ साल आघ औलो ओ शीतके कारण और जातिन्हक बसोबास निरलहिन् । यहाँ खोरिया फार्ख उल्जार गुल्जार करुइया थारु नै हुइट । पाछ और जातिन्हक आगमनले आफन फारल जग्गा जमिन समेत गुमैना अवस्थाम पुगल यहाँक थारुनके आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, एवम् शैक्षिक अवस्थाम रस रस सुधार अइटी बा । सुर्खेतके थारु दाङसे अइलक कारण हिकनक रहनसहन, रीतभाट, चालचलन, संस्कार चाडपर्व दाङके थारुनके असक बाटिन् । पुरान पुर्खन्हक कहाई अनुुसार दाङम जिम्दार हुक्र बहुत सतैलक कारण सुख शान्तिसे बैठ मिल कना उद्देश्यले सुर्खेतमा थारु अइलक हुइट कना धारणा पाजाइठ ।
वीरेन्द्रनगर नगरपालिकाके वडा नं. २, ३, ८, ९, १०, ११ परापूर्वक कालसे बैस्टी आइल बात । सुर्खेतके करिब ३८ ठो गाउँम रलक थारुनके इतिहास केराइबेर सरकारी दस्तावेज सुर्खेत दर्पण कना पोस्टाअनुसार वि.सं. १९७५ ओहर दाङसे सुर्खेतम सबसे पैल्ह सात घरक थारू अइलक हुइट । थारून यहाँ अनुइया व्यक्ति पटुवारी भक्तविर श्रेष्ठ ओ डिठ्ठा कृष्णलाल पन्त हुइट कैक जनागिल बा । पोस्टाम उल्लेख अनुसार पटेनी गाउँम चन्डु थारु, तिलपुर गाउँम ढिकपुरे थारु, बुदबुदीम चिल्रवा थारु, भवानीपुरम भवानेपुरे थारु, पातलगंगाम उत्तरघरे थारु, नयाँघुस्रामा बालपुरे थारु, नयाँगाउँम अजन्ते थारु कैक सातठो थारुनके नाउ बटिन् । पाछ यी थारुनके सम्पर्क औरु थारु हुक्र अइलक हुइट कैख लेख्गिल बा । सुर्खेतके सब थारु डंगौरा हुइट । पैल्हक जमानाम सुर्खेत उपत्यकाम औलो ओ शितके दबदबा रह । ऊ व्यालाम और जातिक मनै बैठ निस्याकट । औलो लग्ना डरले डर्वा पख्वाम बैठट । शिवनारायण बि.सी. के लिखल पि.एच.डी. प्रथम वरस के लाग अनुसन्धान करल सुर्खेतका थारु जाति कना शोधपत्रम दाङसे सुर्खेतम वि.सं. १९६० ओहर अइलक हुइट कना बात उल्लेख कर्ल बाट । ओसहख वीनपाके ७९ वर्षीय मानबिर थारु दाङम बाहुन जाति थारुन श्रम शोषण कर्ना, दुख देना, सटवापइलक कारण सुर्खेतम सुखसे बाच पैना आशम सुर्खेत करिब वि.स. १९५० ओहर अइलक बट्वोइठ । तत्कालीन श्री ५ के सरकार वि.सं. २०२२ सालम औलो उन्मूलन कर्लक पाछ और जातिन्हक प्रवेश उपत्यकाम हुइलक हुइन् । सुर्खेत उपत्यकाके मूल आदिवासी कलक नै थारु ओ राजी जाति रलक इतिहास साक्षी बा ।
गोचाली परिवारके भूमिका
सुर्खेत उपत्यकाम घनघोर जंगल फार्ख उल्जार गुल्जार करुइया थारु हुक्र देशम अइलक राजनीतिक परिवर्तनके कारण रस रस शिक्षादीक्षाओहर अग्रसर हुइटी आइल बाट । थारुनके हक अधिकार, स्वतन्त्रता, मानव अधिकार, आफन भाषा, कला, संस्कृति आदि विविध विषयम वकालत कर्ना, पैरवी कर्ना एवम् एकीकृत कर्ना सचेतना बह्रैना कामफे अघारी बहर्टि बाट । थारुनफे एकिकृत कर परठ एकजुट हुइ परठ कना उद्देश्यले जिल्लाम वि.सं. २०४९ सालम थारु भाषा तथा साहित्य उत्थान मञ्च गोचाली परिवार कना संस्था स्थापना हुइलक बात यकर संस्थापक अध्यक्ष कृष्ण बहादुर थारु कठ । उहाँक अनुसार सुर्खेती थारुनम जागरण अन्ना काम थारु अनुसन्धान कर्ता, संस्कृतिविद शुशिल चौधरी हुइट । उहाँ सबसे पैल्ह सुर्खेतके थारुनम एकता कराइक लाग बहुत सक्रिय रुपम लग्लक बात कर्ठ । तर थाकसके केन्द्रीय सदस्य मान बहादुर चौधरी चाहिँ वि.सं. २०५१ सालम स्थापना हुइलक जिकिर कर्ठ । यह गोचाली परिवार कना संस्थाके माध्यमसे थारुनम आफन भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति सँगसँग खेलकुदके विकासम महŒवपूर्ण भूमिका ख्यालल । गोचाली परिवारके संस्थापक अध्यक्ष कृष्ण बहादुर थारु हुइट कलसे वाकर पाछ कुछ समयसम लालबहादुर चौधरी अध्यक्ष हुइल । गोचाली परिवारके अन्तिम अध्यक्षके रुपम बालिका चौधरी रलही । उहाँ कुछ समयसम सुर्खेतम विभिन्न थारु भाषा, कला, संस्कृति एवम् खेलकुदसम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रम कैगिल । विशेष कैख सुर्खेतम पुरुष भलिबल ओ महिला भलिबल जुझिक जुझा कार्यक्रमले थारु समुदायम जिल्ला, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रिय खेलाडीसम उत्पादन करल । पाछ संस्थाके नेतृत्वम कमि हुइलक कारण संस्था निस्क्रिय हुइल । ओठेसे गोचाली परिवार कना संस्था नै हेराइल अवस्था बा ।
सुर्खेतम गोचाली परिवार संस्थासे कैगिल विविध गतिविधिके विवरण
सुर्खेतके आदिवासीके रुपम चिहिन्जिना थारु समुदाय विभिन्न झुम्म बस्ती रहल गाउँम परिणत रह । तत्कालीन समयम विभिन्न पहाडी जिल्लासे अन्य आहारीपाहारीके आगमनले थारु जाति रस रस अल्पमतम पर्टि गिलक अवस्थाम पहाडीनके दबदबाले थारुनके उपरम थिचोमिचो ज्यादा रह । ओह ब्याला सामाजिक अभिन्यन्ता बौद्धिक व्यक्तित्व बर्दियाके शुशिल चौधरी थारुनके हक अधिकार, समानता, आफन अस्तित्व जोगाइक लाग एकजुट हुइ परठ कैख जागरण लन्ना काम कर्ल । एकआपसम लर्ना थारु दाजुभाइन एकजुट करैना काम कर्ल । यी अभियानम सुर्खेतके कृष्ण बहादुर थारु, लाल बहादुर चौधरी, टेक बहादुर चौधरी, कुल बहादुर चौधरी, याम बहादुर चौधरी, मान बहादुर चौधरी, भागिराम चौधरी, मानबिर थारु लगायतके विशेष भुमिका देख्जाइठ ।
क. जिल्लाव्यापी सांस्कृतिक एवम् साहित्यिक कार्यक्रम
गोचाली परिवार सुर्खेतके आयोजनाम सबसे पैल्ह वि.सं. २०५१ साल बैशाख महिनाम सुर्खेतके तिलपुर गाउँम जिल्लाव्यापी रुपम सांस्कृतिक ओ साहित्यिक कार्यक्रमके आयोजना कैगिल रह । उ कार्यक्रमम थारु हक आधिकारसम्बन्धी जागरणमूलक गीतके प्रतियोगिता, कविता प्रतियोगिता, नाचके प्रस्तुति कैगिल रह । कविता प्रतियोगिताम यी पंक्तिकारफे डब्नीभ¥याम उत्रल रह । ओसहख गीत डेब्नीभे¥याम म्वार लिखल के बुझी हमार ब्यथा हो… कना बोलके गीत तिस्रा स्थान प्राप्त करल । उ ब्याला मै किलास ८ म पह्रु । ओह कार्यक्रम नै म्वार साहित्यके डेब्यु रह । उ समयम संस्थाके अध्यक्ष सुर्खेतके समाजसेवी कृष्ण बहादुर थारु रलह ।
ख. खेलकुद तथा सांस्कृति कार्यक्रम
गोचाली परिवारके स्थापना पश्चात सुर्खेतम थारु जागरुक अगुवा, समाजसेवी, बुद्धिजीवी हुक्र विभिन्न गाउँ गाउँम जागरण कार्यक्रम फे करट । खेलके माध्यमसे थारुन एकजुट बनैना मजा माध्यम बनल रह । यह क्रमम वि.सं. २०५४ सालम भलिबल खेलकुद प्रतियोगिता ओ सांस्कृतिक कार्यक्रमके आयोजना पातलगंगा गाउँके काँक्रेबिहारके चौरम कैगिल रह । उ ब्यालाम तत्कालीन साविक उत्तरगंगा गाविसके फलाटे, कोलडाँडा, ठौरीसे मजा खेलाडी जन्मल रलह । ओसहख लाटिकोइली गाविसके पातलगंगा, नयाँगाउँ, बुदबुदी, आदि गाउँम खेलके मजा विकास हुइल रह । थारुन एकठाउँम जोर्ना मञ्च बनल रह गोचाली परिवार ।
निष्कर्ष
यह संस्थाके प्रभावले गाउँ गाउँम विभिन्न खेलकुद तथा सास्कृतिक क्लबके जन्म हुइल । गोचाली परिवार संस्थाके नेतृत्वके अभावके कारण संस्था मृत अवस्थाम पुगल । तर गोचाली परिवारके छाप लौव युवा पुस्ताम देख्गिल जुन पाछसम विभिन्न गाउँक युवाहुकनक सक्रियताम बेलाबेलाम कार्यक्रम हुइटी रह । असिन गतिविधि गाउँस्तरम कुछ पह्रल लिखल युवा थारु बुद्धिजीवि, समाजसेवीनके अग्रसरताम गाउँघरम विभिन्न युवा क्लब, समूह गठन होखन गाउँस्तर तथा जिल्लाम हुइना विभिन्न महोत्सव कार्यक्रमम सहभागी हुइना कार्यम फेन वृद्धि हुइ पुगल । असिन गाउँ स्तरके क्लबमध्ये नयाँ गाउँके पहुरा सांस्कृतिक समूह, पातलगंगाके गणेश जल खेलकुद तथा सांस्कृतिक युवा क्लबके आयोजनाम हरेक वर्ष सांस्कृतिक तथा खेलकुद विकासके लाग विविध कार्यक्रम हुइना क्रम जारी रह । यी सब गोचाली परिवारके योगदान रह कह सेक्जाइठ । थारु भाषा साहित्य, कला, संस्कृति एवम् खेलकुदके विकास, संरक्षण, संवद्र्धन ओ प्रवद्र्धन कर्ना बहुत जरुरी बा । गोचाली परिवार कना संस्थाके देखाइल डगर पक्रटि वि.सं. २०६१ सालम थारु कल्याण कारिणी सभा गठन हुइल । ओसहख वि.सं. २०७८ सालम लखािगन थारु उत्थान मञ्च सुर्खेत स्थापना हुइल बा । राष्ट्रिय थारु कलाकार मञ्च शाखा सुर्खेत गठन होखन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम कर्टि आइल बाट । वास्तवम गौचाली परिवार थारु भाषा, कला, साहित्य, खेलकुदके विकास सँगसँग थारुनके हक अधिकार, समानता, अस्तित्वके लाग लर सिखैना एकठो बलगर जग रह कह सेक्जाइठ । थारुन एकताम अन्ना जुझारु संस्था रह । आफन पहिचान, अस्तित्वके लाग सङ्घर्ष कर सिखैना संस्था रह । हाल सुर्खेतम गोचाली परिवारके कौनो नामोनिसान निहो तथापि यकर छाप कहु न कहु अवश्य बा ।
जय गुर्बाबा ।
पृष्ठ संयोजकः मानबहादुर चौधरी, पत्राचारके लाग ठेगानाः इमेल: [email protected], [email protected] र मो.न.: ९८४८०४०८८०
प्रकाशित मितिः ११ असार २०८२, बुधबार ०६:०४
मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ ।