सातौँ राष्ट्रिय थारु साहित्य सम्मेलन विविध कार्यक्रमसहित सम्पन्न

सातौँ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलन बाँकेके राप्ती सोनारीम माघ २० गतेसे २२ गतेसम विविध कार्यक्रम कैख सम्पन्न हुइल बा ।

शुक्रवारठेसे सञ्चालन हुइल सम्मेलनम थारू भाषा, साहित्य, संस्कृति उनन्नयनके लाग थारू साहित्यिक संघ संस्था, भाषाप्रेमी, लेखक, प्रकाशक, सम्पादकहुक्र एकजुट होख सहकार्य कर्नालगायतके १२ बुँदे घोषणा पत्र जारी कर्टि सम्पन्न हुइलक हो ।

आगामी ८औँ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलन मोरङके ग्रामथान गाउँपालिकाम कर्ना घोषणा पत्रम उल्लेख बा । ८औँ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलनपाछ बाँकी सककु थारू साहित्य सम्मेलन बर्दियाम आयोजना कर्ना पहल कर्ना बात थारू लेखक संघके केन्द्रीय सदस्य शेखर दहित जनैल ।

थारू लेखक संघ नेपाल ओ थारू गोचाली समाज नेपाल, बाँकेले आयोजना कैगिल सम्मेलनके समापन कर्टि थारू लेखक संघके अध्यक्ष डा. कृष्णराज सर्वाहारी प्रत्येक बरस आयोजना कैजिना राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलनले एक मेरके जागरण लन्ना काम कर्लक बटोइल ।

कैलालीके पटेलाम आयोजना कैगिल दोसर साहित्य सम्मेलनके कारण वहाँक बरघरेन एकजुट होख थारू संग्राहलय बनैना सफल हुइल उदाहरण देति उहाँ कल, ‘रूपन्देहीके सैनामैनाम उद्घाटन निहुइल होमस्टेम चौथो सम्मेलन कर्लि, ऊ ठाउँके फे प्रचार प्रसारम बहुत सहयोग पुगल । सुर्खेत ओ बाँकेम कैगिल सम्मेलनम थारूके जनजीवनम कलम चलैना गैरथारू साहित्यकार हुकहन सहभागी करागिल, यी बातले गैरथारू बरा सहित्यकारके प्रभाव थारू साहित्यकारम पर्टि बा । लुम्विनी प्रदेशम यथाशीघ्र प्रज्ञा प्रतिस्थान बन पर्ना आवश्यकता अगंगुरैटि सर्वहारी कल २०१४ सालम स्थापना हुइलसे फे केन्द्रके प्रज्ञा प्रतिस्थानम थारू साहित्यकार अभिनसम प्राज्ञ सदस्य बन निसेक्ल हुइट । यी चौथो बर्का भाषाप्रतिके घोर उपेक्षा हो ।’

थारू भाषाके मानकताके सवालम रसरस भाषाके एकरूपता अइटी रलक अध्यक्ष सर्वहारीके दावी बाटिन् । एक दशक आघ प्रकाशन हुइल थारू भाषाके पुस्तक ओ पाछक समयम प्रकाशन हुइटिरलक पुस्तकम भाषा लेखनम सुधार अइटिरलक उहाँ बटोइल ।

देशके जुन कोन्वाम थारू साहित्य सम्मेलन कर्लसेफे वहाँक युवा साहित्यकार हुकहन सशक्त बनाइना ओ भाषिक जागरण लन्ना काम कर्टिरलक अध्यक्ष सर्वहारी जिकिर कर्ल ।

थारू समुदायके कला संस्कृतिके खोज अनुसन्धान तथा ईतिहासके बारेम दस्तावेजीकरण कर्ना उद्देश्यले थारू लेखक संघ प्रत्येक बरस राष्ट्रिय सम्मेलनके आयोजना कर्टि अइलक ओ यी कार्यक्रम रसरस मूर्तरूप लेटि गैलक थारू लेखक संघके केन्द्रीय सदस्य शेखर दहित जनैल ।

असहख समापन कार्यक्रमह सम्बोधन कर्टि सम्मेलनम युवा सहभागिताके लाग आगामी दिनम युवा हुकहनके रचना वाचनह फे विशेष स्थान दिहपर्ना थारू लेखक संघका केन्द्रीय सचिव तथा जंग्रार साहित्यक बखेरीका केन्द्रीय अध्यक्ष सोम डेमनडौरा सुझाव देल रलह ।

७ औँ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलनमा ६ ठो विविध विषयम छलफल, बहस कैगिल रह । राप्ती सोनारीके विकासके लाग प्राथमिकता, आदिवासी भाषा दशक ओ मातृभाषा, विकासम वरघर, होमस्टेम थारू समुदाय, आख्यानम थारू जीवन, बाँकेम थारू साहित्यके अवस्था, थारू साहित्यम युवा तथा सिकलसेल एनिमियाके कहरः जनस्वास्थ्यम प्रतिकूल असरबारे विषयगत सम्बन्धित ब्यक्तित्व हुकहनसे प्यानलिस्ट बनाख घनिभूत छलफल कैगिल रह ।

बहसम पत्रकार विमला चौधरी, लेखक तथा थारू कला संस्कृति खोज अनुसन्धानकर्ता शेखर दहित, सञ्चारकर्मी तथा बरघर अभियन्ता एकराज चौधरी, सञ्चारकर्मी तथा साहित्यकार नविन अभिलाषी, साहित्यकार सागर गैरे, लेखिका वालिका चौधरी, सिकलसेल एनिमिया रोकथामके अभियन्ता प्रभुराम चौधरी, युवा साहित्यकार भूमिका थारू लगायतले सहजकर्ताके भूमिका निर्वाह कर्ल रलह ।

छलफल कार्यक्रमके सुरुवातम ‘राप्ती सोनारीको विकासका लागि के छ प्राथमिकता ?’ विषयम छलफल चलागिल । गाउँपालिका अध्यक्ष तप्त पौडेल, उपाध्यक्ष मनिषासिंह थारू ओ वडा नम्बर ७ के अध्यक्ष रामलखन चौधरीसे विमला चौधरी बातचिल कर्ल रलही । स्थानीय साधन ओ स्रोतके प्रयोगह प्राथमिकताम रहल वक्ताहुक्र बटोइल । गाउँपालिके अध्यक्ष तप्त पौडेल स्थानीयह कृषि क्षेत्रके विकासम लग्ना प्रोत्साहन कर्टि स्थानीय सरकार स्याकटसम सहयोग कर्ना आश्वासन देल ।

शनिवारके दोसर छलफल अन्तर्गत ‘आदिवासी भाषा दशक र मातृभाषा’ शीर्षकम बसह कैगिल । आदिवासी जनजातिविज्ञ भोलाराम चौधरी र युनेस्को प्रतिनिधि वर्षा लेखीसे शेखर दहित संवाद कर्ल । पाठ्यक्रम एवम् सरकारी ओ कामकाजी भाषाके रूपम थारू भाषाके प्रयोगके बारेम चर्चा हुइल रह ।

कार्यक्रमके अन्तिम दिन आयोजना कैगिल विभिन्न छलफल कार्यक्रममध्ये ‘आख्यानम थारू जीवन’ म थारूनके बिषयम कलम चलाइल लेखक हुकहन सहभागी कैगिल रह । मनोज चौधरी, महानन्द ढकाल र गणेश वर्तमानसे नवीन अभिलाषी बातचित कर्ल रलह । चितवनके लेखक मनोज चौधरीके ‘टुकी’ ओ ‘टुवरा’ उपन्यास प्रकाशित बाटिन् । यी दुनु उपन्यासम लेखक चौधरी थारूनके जनजीवनह चित्रण कर्ल बाट ।

बाँके, कोहलपुरके महानन्द ढकाल ‘बुह्रान’ उपन्यास लेख्ल बाट । थारू भाषाके शब्द ‘बुह्रान’ उपन्यासम विभिन्न कारणले थातथलो छ्वारल बसाइँसराइ कर्लक थारू समुदायके जनजीवन चित्रण कैगिल बा । अर्का सहभागी गणेश वर्तमानके ‘ट्वाना’ पुस्तक फे यह सम्मेलनम विमोचन हुइल उपन्यास हो । थारू जातिके पारम्पारिक हतियारलाई ट्वाना भनिन्छ ।

सहजकर्ता अभिलाषी तीन जहन लेखकसे बातचित कर्टि थारू जनजीवन खोतल्ना प्रयास कर्ल । बरघर अर्थात मुखिया बन्ना थारूठेसे कमैया बैसल थारूनके जीवनके बारेम बहसम उतर्ल ।

सम्मेलनम बाँके जिल्लाके थारू साहित्यके अवस्था बारेम फे छलफल कैगिल । लेखक एवं पत्रकार सागर गैरे थारू साहित्यक अगुवा जीतबहादुर चौधरी, सञ्चारकर्मी सोम डेमनडौरा र साहित्यकार खगेन्द्र गिरी कोपिलासे जिल्लाके समग्र थारू साहित्यके अवस्थाबारेम छलफल कर्ल ।भूमिका थारु सञ्चालन करल थारु साहित्यम युवा शीर्षकके प्यानलम नाटककर्मी प्रणव आकाश, साहित्यकारद्वय सागर कुश्मी तथा गीताञ्जली पछल्डंग्या रलह ।राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलनके संघीय मामिला तथा सामान्य प्रशासन मन्त्री अमनलाल मोदीले उद्घाटन तथा पुस्तक विमोचन कर्ल रहल ।

सम्मेलनमा कथा संग्रह सोरठके लेखिका लक्ष्मी रानाह २५ हजार २५ रूपौयाँ नगदसहित सम्मान कैगिल रह कलसे थारूनके जनजीवनम कलम चलाइटी आइल साहित्यकार किरण आचार्यह कदर पत्रले सम्मान कैगिल रह । कार्यक्रमम विभिन्न विधाके रचना वाचन, सांस्कृतिक प्रस्तुतिह फे स्थान देगिल रह । उक्त सम्मेलन ब्यवस्थापनके मुख्य भूमिकाम थारू गोचाली समाजका अध्यक्ष देखलाल थारू, महासचिव कालुराम थारू समर्पण, कोषाध्यक्ष सुनिता थारूलगायतके सदस्य हुक्र रहल । सम्मेलनह सफल पारक लाग स्थानिय पालिका, वडा कार्यालय, सामुदायिक वन उपभोक्ता समुह, बरघरलगायतके सहयोग तथा सहकार्य कर्ल रलह ।

सम्मेलनम पूर्व सुनसरी, मोरङ ठेसे सुदुरपश्चिमके कञ्चनपुर लगायतके जिल्लामसे झण्डै तीन सय लेखक, पत्रकार, विश्लेषक, अध्येता हुकनक सहभागिता रलहिन् ।

प्रकाशित मितिः   १५ चैत्र २०७९, बुधबार ०५:०३