थारु भाषाके मानकीकरण

पृष्ठभूमिः

थारु नेपालके सबसे पुरान आदिबासी हुइ लेकिन फेन हमार थारु भाषाके मानक नै हो । यिहे कारणसे थारु भाषामे मैथिली, अवधि, भोजपुरी, नेपाली, हिन्दी ओ अंग्रेजी भाषाके प्रभाव बढ्ती जाइता । आझ थारु भाषाक मानक नै बनाबि कलेसे थारु भाषा सङ्कट अवस्थामे पुग्न धेर समय नैलागि । थारु भाषाके पहिचान ओ संरक्षणके लग हालीसे निष्कर्षमे पुगके पुरूब झापासे पच्छिउँ कञ्चनपुरतकके एकठो मानक भाषा बनैना जरुरी बा । यकरलग चरणबद्धसे छलफल बहस कैना ओ निष्कर्षमे पुगके मानक निर्धारण कैना बा ।

यी बहसहे निष्कर्षमे कैसिक पुगैना हो ? आझ यी प्रश्न हमार सामुन्ने समस्याके रूपमे ठह्रियाइल बा । मोरिक संयोजनमे सन् २०१५मे राना थारु भाषाके मानक बनागैल । लेकिन मानक अनुसार लिखल किताब प्रयोगमे अइलक दुसर साल परिमार्जनके माग हुइल । समुदायके माग अनुसार तुरुन्ते परिमार्जन फेन हुइल । परिमार्जनके वाद मानक सम्बन्धमे कौनो आवाज नैउठल हो । आझ यिहे लेखमार्फत मानक भाषा निर्धारणके प्रव्रिmया ओ अनुभव लिखे जाइतुँ । प्रव्रिmया लिख्नासे पहिले थारु कौन भाषा समूह अन्तरगत परथ ? जानक जरुरी बा । त्रिभुवन विश्वविद्यालय केन्द्रीय भाषा विज्ञान ओ सिल इन्टरनेश्नलके सर्वेक्षणअनुसार सक्कु थारु भाषा भारोपेली, आर्य–इरानेली, भारतीय–आर्य अन्तरगत परथ ।यी कारणसे थारु भाषा स्वाभाविक रूपमे हिन्दी, नेपाली, मैथिली, भोजपुरी, उर्दु, बज्जिका ओ अवधी भाषासे लगुच्चे बा ।

थारु भाषाके मानकीकरण

थारुन्के धर्म, संस्कृति, परम्परा, चालचलन, रीतिरिवाज, शारीरिक बनोट ओ स्वाभाव एक्के रलेसेफेन भाषाक लवज अनुसार कोचिला, चितवनिया, दङ्गौरा, कठरिया, देशौरि, मलह्वरिया ओ रझतिया थारुक रूपमे अल्गइबो । जबकि यी सक्कु भाषा एक आपसमे ६२ से ९५ प्रतिशत मिलठ । यी मेरमेरके थारु भाषाक अन्तरभेद पत्ता लगाके सर्वसम्मत ओ सर्वस्वीकार्य एकठो निर्दिष्ट संगतिमे थारु लेख्य भाषाके मापदण्ड निर्धारण कैना प्रव्रिmया थारु भाषाके मानकीकरण हो ।

मानक भाषा निर्धारणके चरणगत प्रक्रिया

१. लिपि निर्धारणः

थारु भाषाके लिपि कौन हो ? फरक फरक इतिहासकारके अनुसार ब्राह्मी, पाली, त्रिहुटा लिपि उल्लेख कैल सुन्जाइठ । लेकिन आझ हम्रे देवनागरी लिपिके अभ्यास करटि । थारु भाषाविद, लेखक, साहित्यकार, इतिहासकार और बुद्धीजिवी मिलके थारु भाषा लिखाइके लिपि निर्धारण कैना पहिलो चरण हो । यदि देवनागरी लिपिहे अनुकुलन कैजाइ कलेसे देवनागरी लिपिके वर्णव्रmमअनुसार सक्कु वर्ण सिखैना ठीक हुइ ।टाकि हमार लड्का भरोपेली परिवारके सक्कु भाषा पढे ओ लिखे सेकिँट । कौनो कौनो थारु शब्द नेपाली हिज्जेअनुसार लिखे नैसेक्जाइठ । ऊ कारणसे थारु मौलिक शब्द अपभ्रंस हुगैल बा । सायद हम्रे आपन लिपि पाली वा त्रिहुटा लिपिमे लिखटी कलेसे ओइसिन नै हुइट ।

२. वर्ण निर्धारण

दुसर चरण वर्ण निर्धारण हो । देवनागरी लिपिमे ३६ ठो व्यञ्जन वर्ण ओ १३ ठो स्वर वर्ण बा । लेकिन सक्कु व्यञ्जन वर्ण मूल वर्ण नै हो । जौन वर्णके आपन छुट्टे ध्वनि बतिस ऊ मूल वर्ण हो । देवनागरी व्यञ्जन वर्णहे तीन भागमे बाँटल बा ।

क. आपन अलग्गेध्वनि हुइलक वर्ण (अ, आ, इ, उ, ए, ओ, क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह) यिहिहे मूल वर्ण कहठाँ ।

ख. पञ्चम वर्ण(अनुनासिक वर्ण) अर्थात् नाके स्वर अइना वर्ण (ङ, ञ, ण)

ग. संयुक्त वर्ण (क्ष, त्र, ज्ञ) । लेकिन पच्छिउँ ओर‘ङ’ के उच्चारण ÷अङ्.गा÷ करथाँ ।
अस्टहिंक स्वर वर्णमे फेन ऐ (अ+इ), औ (अ+उ), अं (अ+ङ), अः (अ+ह) संयुक्त स्वर वर्ण हो ।

घ. ई, ऊ के आपन अलग ध्वनि नै हुइस । जोड कैके उच्चारण हुइना ठाँउमे एकर प्रयोग हुइठ ।

 

३. थारुभाषा लिखाइ निर्देशिका (थारु हिज्जे)

भाषिक सिद्धान्तअनुसार जस्तक बोल जाइथ ओस्टक लिखना हो । जे जस्तक बोल्ना ऊ ओस्टक लिखाइ कर्लेसे थारु भाषा लिखाइमे एकरूपतानै हुइ । ऐसिन अवस्थामे केकर लिखाइहे शुद्ध कहना हो ? थारु भाषाक शुद्धाशुद्धी नैहुइलक कारण थारु भाषाकलेखक ओ पाठकके बीच भाव बुझाइसे लिखाइ पढाइ हुइटि आइतत ।थारु भाषा लिखाइ निर्देशिका बनि तबसे थारु भाषा लिखाइके शुद्धाशुद्धी हेर्ना अवस्था आइ ओ थारु भाषाके व्याकरण, शब्दकोश माध्यमिक शिक्षामे अध्यापन करैना समयफेन आई ।

क. देवनागरी वर्णमे थारु भाषा लिखाइ

थारु भाषा लिखकलाग निर्धारण हुइल वर्णके प्रयोग कैसिक कैना हो ? जस्तेकि हमार उच्चारण अनुसार ÷क÷ वर्णहे ÷का÷ उच्चारण कर्ठि । उच्चारण अनुसार लिख्ना हो या मानक बनाके मानक अनुसार शुद्धाशुद्धी बनैना हो ? एकरफेन बहस हुइक परल । कौनो कौनो शब्दमे आधा अक्षर आइठ, ऊ अवस्थामे आधा अक्षर लिख्ना हो कि हलन्त देना हो ? थारु भाषामे कौनो कौनो शब्दमे ÷¥ह÷ उच्चारण हुइठ । जस्तेकि प¥हाइ (पढाइ), ग¥हवा (गढवा), डँ¥वा (डाँडा) आदि थारु मौलिक भाषा अपभ्रंस हुइजाइटा । ऐसिन अवस्थामे कैसिन चिन्ह वा वर्ण लिख्ना हो?एकठो मापदण्ड बनैना हे थारु भाषा लिखाइ निर्देशिकाके महत्वपूर्ण काम मानजाइ । अस्तहिँक यदि हम्रे स्वर वर्ण जम्मा ८ ठो किल निर्धारण करब कलेसे कउवा (कौवा), कइठा (कैठा), अइना (ऐना), सिरि (श्री) लिखक पर्ना अवस्था आइ । यिहे कारण थारु वर्ण निर्धारण करेबेर लिखाइमे पर्ना समस्या कैसिक समाधान हुइ उफेन सोचके वर्ण निर्धारण कैना बुद्धिमानी होसेकथ ।

ख. थारु मौलिक भाषा वा शब्द लिखाइ

थारु भाषाके वाक्यमे तत्सम, तत्भव, आगन्तुक ओ थारु मौलिक शब्द खस्मोरल बिल्गाइठ । आजकलके लावा पुष्टामेझन धेरभाषा खस्मोरके बोलठाँ । भाषा खस्मोरके बोल्लक कारण थारु मौलिक भाषा संकट अवस्थामे परे जाइटा । थारु भाषा पहिचान ओ संरक्षणके लग थारु मौलिक भाषा लिखाइके विशेषता निर्धारण करकपर्ना आवश्यक बा । जस्तेकि‘दाइ’ नेपाली भाषामे ‘दाजु’ ओ थारु भाषामे ‘आमा’ हुइठ । थारु भाषामे उच्चारण ‘डाइ’ करठी ।उच्चारण अनुसार‘डाइ’ लिख्ना हो या‘दाइ’? थारु भाषा लिखाइ निर्देशिकामे (थारु मानक भाषा) उल्लेख हुइक परल ।

४. थारु मौलिक शब्दके पहिचान

थारु भारोपेली, आर्य–इरानेली तथा भारतीय–आर्य अबर्गीकृत भाषा परिवार अन्तरगत परथ । उहे कारणसे थारु भाषा नेपाली, हिन्दी, उर्दु भाषासे लगुच्चे बा । यदि थारु भाषाके लेख्य मानक नै बनाजाइ कलेसे ढिल ओ हलहल कौनो ना कौनो भाषामे बिलिन हुजाइ । यी कारणसे थारु मौलिक भाषाके पहिचान बनाइक पर्ना जरुरी बा । उदाहरणके रूपमे तत्सम, तत्भव, आगन्तुक ओ थारु मौलिक शब्दके पहिचान टारक तालिका अनुसार बनाइ सेकजाइ कना मोर विश्वास बा ।
जौन शब्दके उच्चारण ओ शाब्दिक अर्थ नेपाली भाषासे फरक बा, ऊ शब्द थारुनके मौलिक शब्द हो । लिखाइमे फेन थारु उच्चारण अनुसार लिखलेसे ठीक हुइ । जस्तेकिः

यदि कौनो ठाउँक फरक थारु मौलिक शब्द बा कलेसे उहीहे पर्यायवाची शब्दके रूपमे समायोजन कैलेसे ठीक हुइ ।

५. थारु भाषामे हलन्त, आधा वर्ण ओ मात्रा चिन्हके प्रयोग

व्यञ्जन वर्णमे स्वर वर्णके फरक स्वरूप प्रयोग कैजाइठ । ऊ स्वरूपहे मात्रा कहठाँ । थारु मानक भाषा बनाइक लाग स्वर वर्ण ओ मात्रा चिन्हाहे कैसिक प्रयोग कैना हो ? सर्वसम्मत ओ सर्वस्वीकार्य एकठो निश्चित मापदण्ड निर्धारण कैके लिखलेसे भाषिक शुद्धता ओ एकरूपता बनि । उदाहरणके तनः

शब्दके सुरु, बीच ओ अन्तिममे आधा अक्षर ऐलेसे हलन्त देना कि, आधा अक्षर लिख्ना ? थारु मानकमे आइक परल ।

६. वाक्य संरचना

कर्ता, कर्म ओ व्रिmया मिलके सामान्य वाक्य बनठ । भर्चुअल बैठकमे नमस्कार कैल वाक्य यिमेरके बा ।

  • सबैलाई नमस्कार । नेपाली भाषा, विभक्ति जोडल बा । यहाँ जोडल शब्दके ड वर्ण कैसिक लिखना हो ? /ड़/, /ड्/ थारु भाषामा पुरा /ड/ के उच्चारण नैहुइठ ।
  • सब कै गोर लगै ची । पूर्वी थारु भाषा, विभक्ति अलग्गे बा ।
  • गोर लागै चियै सैब गोरेके । पूर्वी थारु भाषा, कर्म व्रिmया कर्म र विभक्ति जोडल बा ।
  • गोर लागै ची । पूर्वी थारु भाषा
  • सक्कु जनहन जय गुर्बाबा । देउखरीया थारु भाषा, विभक्ति जोडल बा ।

पुरुब झापासे पच्छिउँ कञ्चनपुरतकके थारु भाषाके एकठो मानक बनाइक लग भाषिक सर्वेक्षण बहुत आवश्यक बा । सर्वेक्षणके लग नमूना फारम प्रयोग कैके सहमतिमे पुगेसेक्ना विश्वास बा । जस्तेकि:

क. सामानार्थी– नामपद

ख. सामानार्थी– विशेषणपद

ग. विशेषण – नामपद – क्रियापद (पुलिङ्ग)


नोटः पुलिङ्ग भेद छुट्याइकलग ह्स्व मात्राके प्रयोग कैना हो कि ?

घ. विशेषण – नामपद – व्रिmयापद (स्त्रीलिङ्ग)


नोटः स्त्रीलिङ्गके भेद अलग करक लग दीर्घ मात्राके प्रयोग कैना हो कि ?

ङ. कर्ता – कर्म – क्रियापद (एकवचन, वहुवचन)

च. कर्ता – कर्म – क्रियापद (वर्तमान काल)

छ. कर्ता – कर्म – क्रियापद (भूतकाल)

ज. कर्ता – कर्म –क्रियापद (भविष्य काल)

 

झ. सर्वनामः

सर्वनामफेन ठाउँ अनुसार फरक फरक बा । कौन जिल्लामे का का सर्वनामके प्रयोग हुइठ । तारक तालिका अनुसार सर्वेक्षण कैके एकरूपताके खोजि करे सेकजाइ । जस्टे नेपालीमे अनादरहे तँ, समान्य आदरहे तिमी, आदरार्थीहे तपाईं ओ उच्च आदरार्थीहे हजुर कहिजाइठ, ओस्टक झापासे लेके कन्चनपुरसम चौबिसे थारु जिल्लामे इहि कसिक कसिक कहिजाइठ, खोजि करे सेकजाइ ।

ञ. संयोजकः

जस्टे नेपालीमे संयोजकहे र, लागि, तथा, अनि कहिजाइठ । देउखरमे ओ, लग, मने, मुले, टब कहिजाइठ । ओस्टक झापासे लेके कन्चनपुरसम चौबिसे थारु जिल्लामे इहि कसिक कसिक कहिजाइठ, खोजि करे सेकजाइ । ओ, एकरूपता नाने सेकजाइ ।
ओस्टक उपसर्ग, परसर्गके फेन भिन्नता खोजे सेकजाइ ।

७. निष्कर्षः

विभिन्न अध्ययन अनुसन्धान अनुसार मातृभाषाके शिक्षामे अभिभावकलोग सरकारी कामकाजके भाषाहे ज्यादा रुचि देखइलक बिल्गाइल बा । ऊ कारणसे मातृभाषासँगसँगे सरकारी कामकाजके भाषाफेन लिरौसी सिखेसेक्ना विधि अभिभावकके माग हुइलक कारण थारु भाषा लेखन निर्देशिका अर्थात् थारु मानक भाषा बनाइबेर थारु भाषाके मौलिकताहे ख्याल कैके मानक बनैना जरुरी बा । मोरिक विचारमे प्रव्रिmयागत सक्कु जिल्लासे सक्कु थारु भाषाके सर्वेक्षण कैना ओ भाषिक समानता ओ असमानता के विष्लेषण कैके सक्कु जिल्लाक प्रतिनिधिनहे बलाके छलफल कैना ओ वैज्ञानिक आउर बहुमत समानताके आधारमे सहमतिक डगर खोज्के आगे बढ्लेसे थारु भाषाक मानक बनाइ सेक्जाइ कना मोरिक विश्वास बा । थारु मानक भाषा नेपाली, मैथिली, अवधी, भोजपुरी, बज्जिकासे पृथक बनैनाफेन एकठो चुनौती हो। एकरलग नेपाली, हिन्दी, फारसी, उर्दु हिज्जेके विशेषता पहिचान कैके थारु भाषा लेखनके मानकीकरण कैना ठिक हुइ ।

-कुछतनारायण चौधरी

प्रकाशित मितिः   ११ श्रावण २०७९, बुधबार ०५:०४