गजल

टेंर्ह्वा हर पकरके बाबा फे बनशल कमैय
क ख रा नै पहर्के छावा फे बनल कमैया

आघे–पाछे घुम्टि हाँ हजुर कहटी–कहटी
गुलामी करकर्के काका फे बनल कमैया

स्कुल पर्हे नै जाके गुल्लिडन्डा खेलखेल
यि जिन्गि बिगार्के डाडा फे बनल कमैया

एक बोटल डारु और डुइ बुट्टि सिकारमे
मिठाइहस् बिक्के मामा फे बनल कमैया

डुइ बोरा धानकेलाग् कागटिक तमसुकमे
औंठाछाप लगाके आजा फे बनल कमैया

– अंकर अन्जान सहयात्री (जानकी गाउँपालिका–८, जबलपुर कैलाली)

प्रकाशित मितिः   ११ श्रावण २०७९, बुधबार ०५:०२