गजल

जे.बि डेमनडौरा

हाठक सिन्दुर केक्रो माथपर झरल त झस्कनु
टुटल झोप्रीम बुक्रिभारा ख्याल परल त झस्कनु

ढेर आश, ठोरचे हाँसि टिहुपर समाजके आँखी
अट्घट्टा जिउँम बचनके काँटा गरल त झस्कनु

स्वाचल सपना सपनै रहगैल करम फुट्क हो कि
ऊ जोस ऊ जाँगर हेर्टि हेर्टि मरल त झस्कनु

कठ ठुन्यार समाजम भगन्वक बास हुइठ कैख
मानवता हेराइल बस्तीम मन जरल त झस्कनु ।

प्रकाशित मितिः   १४ जेष्ठ २०८२, बुधबार ०५:०७