नवौँ थारु साहित्य सम्मेलन ओ उपलब्धि
गोरि डराइः
हरेक कार्यक्रमके आफन आफन किसिमके इतिहास रहठ । आफन किसिमके कथा रहठ । थारु साहित्य साहित्यके फेन आफन इतिहास बातिस् । यि कार्यक्रमके परिकल्पनाकार एवम् पार्दुभाव कसिक हुइल कना बात थारु साहित्यके हस्ती शुसिल चौधरी आफन मन्तव्य ढर्ल । सम्मेलन भर्खर २०८१ सालके फागुन १५, १६ ओ १७ गते सम्पन्न हुइल नवौँ थारु साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलनके कार्यक्रमम आफन विचार ढर ब्याला बहुत मार्मिक मन छुना किसिमले थारु साहित्य सुरुवात कर्लक धारणा व्यक्त कर्ल । नेपाली साहित्य महोत्सव हुइ स्याकट कलसे थारु भाषाके साहित्य काजे हुइ निसेक्ना कना विचारले उत्प्रेरित होखन कीर्तिपुरम आपन गोचा डा. कृष्णराज सर्वहारीसे सल्लाह कैक सुरुवात हुइलक बात ढर्ल । वास्तव थारु साहित्य म्यालासे सुरु कर्ना दुनु गोचाके योजना बनल । ओह योजनाअनुसार सम्मेलन आज नवौँ चरणसम आइ ब्याला ढेर उतारचढाव आइल । आब मै प्रेसरके कारण जुन अपाङ्ग अवस्थाम बटु । मै पुरस्कार पैना कैक यि अभियानम लग्लक फे नैहो । थारु भाषा साहित्यह कसिक आघ बह्रैना ? सम्मेलनम पुर्खनके रीटभाट युवा पुस्ताम कसिक पुस्तान्तरण कर्ना ओ लौव सर्जक कसिक जन्मैना हमार उद्देश्य रह । महि आज म्वार गोचा सर्वहारी असिक पुरस्कार डिही कना कल्पना फे निरह । असिन डिन फे अइना रलक । कब्बु कल्पना फे नैकर्लक नैसोच्लक हुइना रलक कटि मन्तव्य डिहबेर आँखिक पल्काम आँस टिलपिलाइल रलहिन् । पुरुबसे पश्चिउसम सम्मेलनके यात्राम ज्वार पर्ना बात सुझैटि उहाँ बाँचटसम थारु साहित्यके सेवा कर्ना प्रतिवद्धता फे जनैल । थारु भाषा साहित्यके क्षेत्रम विशिष्ट योगदान पुगैलक ओहर्से उहाँक उच्च मूल्याङ्कन कर्टि नवौँ साहित्य सम्मेलनम थारु लेखक संघसे शुसिल चौधरी हुकिहिन् रू. ५०,०००÷– हजारसहित थारु साहित्य पुरस्कार २०८१ से सम्मान कैगिल ।
थारु साहित्य सम्मेलनके इतिहास खिट्खोर्लसे धेर लम्मा समय बित्लक निदेख्जाइठ । यकर परगा २०७३ सालके बैशाखके ३ र ४ म ऐतिहासिक रूपमा पहिल थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन दाङके घोराहीे राजपुर गाउँम भव्य रूपम सम्पन्न हुइल । पहिल फ्यारा हुइलक थारु साहित्य सम्मलेनम थारू लेखक संघ फेन गठन हुइ पुगल । सम्मेलनम थारू भाषाके विकास र साहित्यके समीक्षात्मक छलफल कैगिल रह । ओह ब्याला वार्षिक रूपम राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलन आयोजना कर्ना उद्घोष कैगिल । ओह अनुसार २०७३ चैत्र १९ र २० गते कैलालीके धनगढी नगरपालिकाके पटेलाम थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन–२ सम्पन्न हुइल । वाकरपाछ २०७४ माघ ४, ५ र ६ गते बर्दियाके बढैया तालम थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन–३ सम्पन्न हुइलक देख्जाइठ । २०७५ चैत २२ र २३ गते थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन–४ रूपन्देहीके मुर्गियाम ह्वाए गिल । प्रत्येक साहित्य सम्मेलनम थारु साहित्यके विविध पाटोम प्यानलिस्ट छलफल तथा दर्जनसे ध्यार स्रस्टाके पुस्तक विमोचन कर्टि आइल बा । रूपन्देही हुइलक सम्मेलन पाछ विराटनगरम कर्ना उद्घोष कैगिल रह तर २०७६ सालम विश्वव्यापी रूपम फैलल कोरोनाके कारण थारू साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलन आयोजना हुइ निस्याकल । एक बरस स्थगित हुइल सम्मेलनह पुन निरन्तरता दिहक लाग पाँचौ सम्मेलन सुर्खेतके वीरेन्द्रनगरमा २०७७ साल चैत्रके २१ ओ २२ गते हुइल । ओसहख वि.स. २०७८ म कञ्चनपुरके कृष्णपुर नगरपालिकाके सिँहपुरम हुइल । २०७९ म बाँकेके सिधन्वाम हुइल पाछ २०८० म सुनसरीके गढीम आठौँ थारु सम्मेलन कैगिल ।
नवौँ साहित्य ओ उपलब्धिः
समुदायसे जोरगिल प्यानलिष्ट छलफल
हरेक कार्यक्रमके आपन किसिमके उद्देश्य रहठ । साहित्य कति कि कविता, कथा खिस्सा, उपन्यास, नाटक विधासे जोरजाइठ । यद्यपि गिट, कविता, खिस्सा, नाटक हर विषय मनैन्हक जिबन पद्धतिसे जोरजाइठ, लोक समाजसे जोरजाइठ, समुदायके कला संस्कृति, संस्कारसे जोरजाइठ । साहित्य कना चिज केवल गित, कविता, खिस्साके विषय किल निहो आम समाजके विषय हो । साहित्यह हमार जनजिवनसे जोर्ना जरुरी बा । ओहमार थारु साहित्य सम्मेलनके नवौँ चरणम आइ ब्याला ढेर उतारचढाव बिहोर्टि समग्र थारु साहित्यके खोजनी बोझनी, थारु भाषाके मानकीकरण, वर्ण पहिचान, साहित्यिक व्यक्तित्वनसे साक्षात्कार, थारु समुदायके विविध पाटो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सांस्कृतिक, राजनीति, यावत सवालह उठैना ओ राज्य सरकारके सम्बन्धित पक्षको ध्यानाकर्षण करैना काम कर्टि आइल बा ।
वि.सं. २०८१ फागुन १५, १६ ओ १७ गते राजापुर–२, बर्दिया जोतपुरम हुइल नवौँ साहित्यिक कार्यक्रमम ढेर विषयवस्तुके बारेम प्यानलिष्ट छलफल चलाइल । सम्मेलनले बहुट कुछ सिखाइ हुइल बा । कार्यक्रमम समसामयिक विषयम जोर्गिल विविध विषयम प्यानलिष्ट छलफल चलागिल । सबसे पहिल राजापुर नगरपालिकाके शिक्षा यात्रा कना प्यानलिष्टम शिक्षाविद जित बहादुर शाह, पूर्व प्रधानाध्यापक किरण आचार्य ओ राजापुर नगरपालिकाके नगरप्रमुख दिपेश थारु रलह कलसे सहजकर्ता नरेशलाल कुसुम्ह्या रलह । यि वहसले समग्र राजापुरके शिक्षा अवस्था ओ थारु समुदायके शिक्षा अवस्था कसिन बा ? स्थानीय सरकार कसिक शिक्षाम गुणस्तर अन्ना योजना बनैल बा । शिक्षाह स्थानीय समुदायसे कसिक जोर्ना ? करिब ७७.८ प्रतिशत थारु बस्ती रहल ठाउँम थारु भाषाके स्थानीय पाठ्यक्रम लागू कर नैसेक्गिल बात नगर प्रमुख दिपेश थारु स्वीकर्ल । बालबालिकाके शिक्षा डर त्राससे नाहि बालमैत्री वातावरणम सिखाइ हुइपर्ना धारणा जित बहादुर शाहके रहिन् कलसे पूर्व प्रधानाध्यापक कल बालमैत्रीम बालबच्चन सिखैना मजा हो तभुफेन हम्र अनुशासन, पह्राइप्रति ध्यान डिह्वाइक लाग कबु कबु थोर बहुत सजाय डेना आवश्यकता औलैल । ‘गुरु मारे झमझम विद्या आए छमछम’ कना उखान फे सुनैली । वास्तवम शिक्षा जीवनसे जोर सेक परठ कना आयामम केन्द्रित रह ।
ओसहख विकास ओ बेन्ह्वा कना प्यानलिष्टम डा. गोपाल दहित, लुम्बिनी प्रदेश योजना आयोगके सदस्य भुवन चौधरी, राजापुर नगरपालिका नगरप्रमुख दिपेश थारु ओ ठाकुरद्धार नगरपालिकाके पूर्व मेयर दुर्गबहादुर थारु कविर रलह । सहजकर्ता सन्तराम धरकट्वा थारु कर्ल रलह । वास्तवम विकास कलक का हो ? विकासम बाधा का कसिन बा कना विषयम घनिभूत छलफल हुइल । विकास कना चिज भौतिक किल नाहोक अभौतिक जस्त कि भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति सामाजिक स्थिति फे तर यहर राज्यक ध्यान नैगैलक कारण हमार भाषा, साहित्य ओत्रा सशक्त हुइ निस्याकठो कना बात उड्गरल । अइना दिनम विकासके सर्वाङ्गीण पक्षह समाज संस्कृति ओ साहित्यसे फे कसिक ज्वार सेक्जाइ कना विषयके उठान हुइल ।
संक्रमणकालीन न्याय ओ द्वन्द्वपिडितके सवाल दिपेश थारु, विष्णु प्रसाद थारु(आयोग अध्यक्ष), द्वण्द्वपिडित अभियन्ता भागिराम थारु, नगर प्रमुख दिपेश थारु, द्वन्द्वपीडित वेपत्ता परिवारके ललिता चौधरीसे सजहकर्ता शेखर दहित सहजीकरण कर्ल । द्वन्द्वपीडितके मठ्वा हठलाइबेर सशस्त्र द्वन्द्वकालम राज्यसे ओ माओवादीसे बहुट धेर थारु दुःख सास्ती भोग पर्लिन् । अहमिस द्वन्द्वपीडित थारु समुदाय हुक्र राज्यसे राहातके मलम नैपैल हुइट । द्वन्द्वपीडित बेपत्ता परिवार हुकहन पुर्नस्थापना कर्ना कामम राज्य संवेदनशील हुइ नैसेक्लक विचार ललिता चौधरीके रलहिन् । राजापुरके नगर प्रमुख दिपेश चौधरी द्वन्द्वपीडित परिवार हुकनहन नगरपालिकासे राहात स्वरूप मासिक दुई हजार व्यवस्था कर्लक ओ एक लाख रूपया अनुदान देक आयआर्जनमूलक कामम लगानी कैख आर्थिक उपार्जनसे जोर्ना प्रयास कर्लक बात ढर्ल ।
थारु समुदायम थारुनके लोक कला गीत बास, लोक परम्पराके बारेम खोज अनुसन्धान कर्ना, लिखित दस्तावेज बनैना कार्यम भारी योगदान पुगैल बा । यि विषयम पूर्व मन्त्री डा.गोपाल दहित ओ युनिक नेपाल बर्दियाके अध्यक्ष प्रिम थारुसे सहजकर्ता डा. कृष्णराज सर्वहारी खिटखोर्ना काम कर्ल । थारु समुदायम रलक मौखिक रूपम रलक तान्त्रिक गुन तन्त्रमन्त्र झट्टेहे विधिसहित प्रकाशन कर्ना बात डा. गोपाल चौधरी जानकारी करैल । हमार थारु समुदायम गुरुवा प्रथा ओ पुरान पुर्खा गुरुवा हुक्र लोप हुइटि जैना क्रम जारी बा । आजकाल गाउँघरम गुरुवा नापाख धेर मनै दुःख पाइट । यि बातले एक मेरिक थारु संस्कार ओ संस्कृतिम पुरान धार्मिक मूल्य मान्यताह जोगाइ पर्ना पुस्तान्तरणके लाग बहुत जरुरी रलक अनुभूति फे हुइल । थारु समुदाययके जत्रा फे बा पुरान गिडबास बा ऊ सब सिलैह्ना (संकलन) कर्ना काम करो यकर प्रकाशनके जिम्मा युनिक नेपाल करी कना बचनबद्धता आइ बा । वास्तव किताब लिख्ना, पुरान गिडबास संकलन कर्ना कर्रा बा मुले यि कामम थारु युवा पुस्तन कुछ न कुछ प्रेरणा दिहल ।
मै के हुइटु कना आत्म कथावाचनम विविध कार्य क्षेत्रके सफल व्यक्तित्व हुकनक जीवन सङ्घर्षके कथाले मनैन भावुक बनाक दर्शकिनके आँखिक पल्काम आँस टिलपिलाइल रलहिन् । द्वन्द्वपीडित रामकली थारुके जिबनम घट्लक घटनाले दर्शकिन् भावुक किल नाहि तत्कालीन सरकारके बर्बरता कत्रा निर्मम क्रुर रलहिन् कना अनुभूति कराइल । देशम राजतन्त्रके अन्त्य होखन गणतन्त्र आस्याकल लेकिन द्वन्द्वपीडित रामकली थारु सक सयौ मनै मुटुम पिर बठ्ठा लेक जिना विवस बाट । युवा व्यवसायी संगम दहितके सफलताके कथाले लौव प्रविधिह सदुपयोग कर सेक्लसे विदेश निहो आपन देशम अवसर बा कना सन्देश डिहलसक लागठ । कृषिम आधुनिक प्रविधि भिœयाख राजापुरम धेर उपलब्धि कर्लक बात सुनैल । मै के हुइटु कना कथा वाचनम स्वयय यि पंक्तिकार सुर्खेतम थारु समुदायमसे भाषा ओ साहित्य विधाम क्षेत्रीय प्रतिभा पुरस्कार पाइब्यालासम का कसिन संघर्ष कैगिल कना विषय सुनैना अवसरले मनक खिल निचोरगिल । सफल होमस्टे व्यवसायी कृष्ण डेमनडौरा, मोहन चौधरीले कथाबाचनले हमार कला संस्कृतिह खानपानह व्यवसायिक रूपम बेच सेक्गिल कलसे विश्व बजारम बिक्ना बात कर्ल । ओसहख सम्मेलनम ठुम्रार, बसघरा बातचित सेसनम थारु साहित्य, कला संस्कृतिके उन्नयनके पाटो आघ बह्राइक लाग टिम मिल्ख कसिक काम कर्टि बात । आजसम का कसिन उपलब्धि हुइल ? कना विषयम केन्द्रित रह । यि सेसन बसघरा श्रृंखलाके सप्तरीके बुद्धसेन चौधरी, ठुम्रार कविता श्रृंखलाके शत्रुघन चौधरी ओ बातचित घरके तर्फसे सुनिता चौधरी सानु रलह यकर विषय बालिका चौधरी सहजीकरण कर्ल रलहि । हमार भाषा, साहित्य, कला संस्कृति संरक्षणके लाग जत्रा सामूहिक रूपम कैगिल प्रयास बा यकर तत्कालीन ओ दीर्घकालीन प्रभाव सकारात्मक हुइटि बा । यि कामले पुस्तान्तरणम फेन ओत्रह महत्वपूर्ण भूमिका रलक प्यानलिष्ट हुकहनके निष्कर्ष रलहिन् ।
थारु समुदायम का बनल का नैबनल कना सेसनम थारु सलिमाके बातम केन्द्रित रह । आजसम थारु समुदायम रहल कथाह सलिमाके दुनियमा का कसिन स्टोरी आइल । अहमिन थारुनके मूलभूत जीवनपद्धति संस्कृति कसिक सलिमा उन सेक्जाइ कना विषय घनिभूत रूपम छलफल हुइल । हमार थारुन् स्टोरी लिखक लाग निर्माता, परिकल्पनाकार स्किप्ट लिख्ना लेखक हुक्र भूमिका ख्याल सेकही । हमार संस्कृतिह कसिक विश्वव्यापीकरण कर सेक्जाइ कना विषय सुरजदेब कुसुम्ह्या प्यानलिष्ट निर्देशक प्रदिप भट्टराई, कलाकार, निर्माता रविन्द्रसिंह बानियासे लम्मा बहस कर्ल । यि सेसनम युवा पुस्ताके धेर चासो रलक कारण दर्शक प्रतिक्रिया फे ढेनक रलहिन् । साहित्य सम्मेलनम साहित्यके चर्चा परिचर्चासँगसँग विभिन्न जिल्लासे आइल साहित्यकार कविला हुकहनके लाग ओजरार साहित्य सेसनले आफन प्रतिभा कविता, गजल ओ गितले थप रौनकता डेल रह । साहित्यम रुचि रलक कवि हुक्र आफन गित कविता, गजल प्रस्तुति कर्ल रलह ।
थारु परम्परागत गुरुवा ओ उद्घाटन
आफन परम्परा रीतभाँटह व्यवहारम प्रयोग कर निसेक्ना हो कलसे हमार संस्कार संस्कृति हेरैटि जैना हो । थारु समुदायम गुरुवा प्रथाके बहुट धेर महत्व बा । हमार पुर्खा हुक्र हरेक काम कर ब्याला आफन डेवी डिउटन समझखन किल काम करठ । सखिया नाच नाचबेर फे गुरुवासे गुरै कैख सम्ह्रौटि गाख किल नाच सुरु कर्ना चलन बा । ओसहख चाहे बर्का नाच नाच ब्यला होस् चाहे बर्खैह्या खेति सुरु करब्याला, सहयार ब्याल होस पुजापाठ अनिवार्य रहठ । अप्खिस वर्दिया जोतपुरम हुइल नवौँ थारु साहित्य राष्ट्रिय सम्मेलनके उद्घाटन कौनो बर्का पहुनाबिना नौठो अतिथिन आसन ग्रहण कैख नौठो दियाम बार्ख गुरुवासे मन्त्रोच्चारण कैख जल ओ डारु ढर्काक कार्यक्रम उद्घाटन कैगिल । वास्तव यि एकठो लौव प्रयोग हो कनासक लागठ । अन्य समुदायम फेन कार्यक्रम करब्याला, स्वस्तिवाचन कर्ना, पण्डित पुरोहितसे पुजापाठ कैख उद्घाटन कर्ठ ओसहख थारु समुदायके कार्यक्रमम फेन गुरुवाके भूमिकाह प्राथमिकता देलसे गुरुवाप्रति सम्मान फे हुइना ओ धार्मिक दृष्टिकोणले फेन मजा हुइना हुइलक कारण धेर जिल्लासे आइल कविला हुकहन् यि तौरतरिका पक्क फे मन परल हुहिन् कनासक लागठ ।
पहुना मर्जाट ओ खानपान व्यवस्थापन
हरेक कार्यक्रम कर ब्याला धेर पक्षके व्यवस्थापन करपर्ना हुइट । यकर लाग आयोजक टिमके काम बाँडफाँड बहुट मजा रह । सुट्ना ओ खुवाइपिवाइके व्यवस्थापनके लाग राजापुर २ जोतपुरके बरघर समिति जो लेल रह ऊ गजबके रह । कल्वा, मिन्ही, बेरी खुवैना किल नाहि सँग कार्यक्रमम फेन सहभागिता हुइना, सेसनके बात ओनैना ओ थारुनके मौलिक संस्कृति झल्कना मेरिक बिच्च बिच्चम नाच डेखैना काम बहुट सुग्घर पाटो रह । खानपिनके लाग गाउँ दिदीबाबु ओ दाजुभैया हुक्र एकदम मिठ बोलि बचनसे स्वागत सत्कार कर्नाले हरेक कविला हुक्र सन्तोष रलह । बसाइ व्यवस्थापनके लाग सामुदायिक भवन ओ युनिक नेपालके हलम रह । पहुनन् गोरपासुके लाग गाउँ अवलोकन करैना व्यवस्थापनसमेत रलक कारण कविलन फ्रेस हुइल रलहिन् ।
पोष्टा म्याला ओ पुस्तक प्रर्दशनी
थारु साहित्यके दोसर महत्त्वपूर्ण पाटो पोष्टा म्याला ओ पुस्तक पर्दशनी फे एक हो । हरेक सम्मेलनम विभिन्न जिल्लामसे प्रकाशित लौव लौव किताब प्रर्दशनीले आगन्तुक पहुना लगायत दर्शक हुकनक मन खिच्ल रह । यि बरस थारु भाषाम किताब निकर्ना कम हुइल । युवा सशक्त आख्यानकार गणेश वर्तमानके खिस्सा सङ्ग्रह ‘लौटल मनिया’ ओ दुइठो पत्रिकाके किल विमोचन हुइल । यद्यपि थारु समुदायके बारेम लिखल ऐतिहासिक पुस्तक, लोक साहित्यसम्बन्धी पोष्टा, विभिन्न समयम प्रकाशन हुइल पोष्टाले आकर्षित बनैल रह । विभिन्न जिल्लासे प्रकाशन हुइल लौव लौव अङ्क पत्रिका लावा डग्गर, हरचाली, हौली, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानसे प्रकाशन हुइलक लगाङ्गीके दुसर अङ्क ओ युनिक नेपालसे भर्खर प्रकाशन हुइल थारुनके लोक परम्पराम रलक माँगर गित पुस्तकले दर्शकिन्के मन खिच्ल रह । पुस्तक किनबेचले संस्कृतिके बारेम जानकारी हुइना, थारु समुदायको विविधताभित्रर रलक संस्कृतिके बारेम आदानप्रदान हुइना कामले लिख्टि रहल थारुन हौस्यैना काम अवस्य कर्ल बा । पोष्टा म्याला ओ पुस्तक प्रर्दशनी साहित्य सम्मेलनके मियो हो कलसे फरक निपरी ।
निष्कर्ष
कार्यक्रम कर्ना अप्नेहे महत्वपूर्ण मानजाइठ । काम निकर्बो त न उपलब्धि आइ न कमिकमजोरी पत्ता लागठ । ओह मार कार्यक्रमले समाजम कुछ न कुछ त अवस्य डिहट । राजापुर नगरपालिका २, जोतपुर, बर्दिया हुइलक कार्यक्रमले बहुट मजा प्रभाव पर्ल बा । विभिन्न व्यक्तित्व हुकनक सपलताके कथाले ऊर्जा ठप्ल बा । थारु समुदायके समसामयिक विषय, द्वन्द्वपिडितके पिरा सम्बन्धित निकायप्रति माग उठैना मौका पैल । एकआपसम बाट बख्रा कर्ना, गाला मर्ना, चिनजान हुइना, सुखानिक दुखानिक कथा सुनैना हुइलक कारण यि एकठो थारुन जोर्ना सेतु हहो । कार्यक्रमके कुछ कमिकमजोरी जरुर रहठ । मज कर्टि कर्टि फे त्रुटि हुइना स्वभाविक हो । कार्यक्रम हुइनासे आघ सामाजिक सञ्जालम विभिन्न टिकाटिप्पणी आइल । टिप्पणी कर्ना गोचागोची हुक्र फे कार्यक्रमम परगा डाबि ओ मनक टुस मेट्ख सँग आघ बह्री कना मैगर अर्जि कर चाहटु । कार्यक्रम कर्ना टिम ओ संस्थाह कत्रा सासट बा कना विषय कर्ना मनैन थाहा रहट । यि पंक्तिकार स्वयम् वि.सं.२०७७ साल सुर्खेतम पँचवा थारु साहित्य सम्मेलनम डौरढुप कर्लक अनुभूति बा । अन्य व्यवस्थापनभन्दा सबसे बराभारी पक्ष आर्थिक पाटो हो । कार्यक्रमह सफल बनाइक लाग खर्चक जोहो कर्ना विगतसे हालसम स्थायी फन्डिङ निहुइल हो । यकर सँगसँग अन्य बसाइ व्यवस्थापन, सेसन का ढर्ना का नै ढर्ना, युवा पुस्ता ओ पुरान पुस्तनके विषय कसिक समावेशी बनैना कना विषय फे महत्व राखठ । असिन विषयम अहमिन् व्यापक घनिभूत छलफल ह्वाए कना सुझाव बा । थारु लेखक संघ विगतसे हालस थारु साहित्यकार हुकहन प्रोत्साहित करैना जुन थारु साहित्य पुरस्कारके व्यवस्था कर्ल बा । यि बहुट महत्वपूर्ण विषय हो । यकर सँगसँग प्रतिभा महिला सशक्तिकरण पुरस्कार थारु महिला लेखक, अभियान कर्ता हुकहन डेना संस्कारले थारु अगुवा हुक्र सक्रिय हुइटि बाट । यि विषयके बारेम छोटमोट सेसन ढैलसे पुरस्कारके राशी बृद्धि कर्नाम थप सहयोग पुग्ने रह कि ? आगामी दिनम यहर फे आयोजनक टिम हुक्रे ध्यान डिहट कना गुरसावन कर चाहटु ।
-मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’
मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ ।