मुटु जर्टि रहठ

हे निष्ठुरी दैव ऊ अबोध बलुखा का बिरैल रह टुहार ऊ अलारी टुँसा भर्खर फुल्टी रलक सुग्घर फुलाह फक्र निपैइटी असिन अलारी उमेरम टु चिमोठ्ख लैगैलो हमार परिवारके सक्कु...

यह गैलक २०८१ बैशाख ८ गते शनिच्चर थारु लेखक संघ नेपालके धनगढीमे हुइल डुसरा जिल्ला अधिवेशन सम्पन्न हुइल बा । लेखक संघम फेनसे जीत बहादुर चौधरी ‘ट्रासन’ के अध्यक्ष बनल...

मनैनके च्वाला एक ताल जरम पैलसे मुख जैना प्राणी हो । ओहमार मानुखके जरम पाख हम्र यी धर्तीम कुछ कर परठ । आफन बाँचल संस्कृति, सभ्यता, मूल्य, मान्यता, रहनसहन,...

ए मीना आयोगके परीक्षा देले, कैह्या आयोग पास कर्बे ? हरेक भेटम सबसे पैल्ह पुछ्ना प्रश्न रह यी ? हरेक मीना हुकन्हक प्रगति चहना आपन सङ्घर्ष मिहिनेतके बात कहना...

समाजसेवी सनिसरा

रातदिन खट्खन दौडधुप कर्लो, गीत बनैलो सखिया बनैलो एकआपसम ग्वारा कट्ना समाजहन एकजुट बनाइक लाग सन्देश देलो । सबजन टुहार ऊ कामह रख्लह मनपरा थारु समाजह टुवर बनाख कहाँ गैलो...

छिनार जन्नी

पन्ज्रक घरम ढोल डमैया बाजटह । भख्खर एक घचिक हुइल् रहिन् डुल्हि पठैलक । उह मार सुनसान हस् फे हुइटह । उह ब्याला अचानक गेलगेल्ह्यँट् घ्याँचा बोल्लक आवाज सुन्ठि चिल्रहान बर्कि । हड्बडैटि...

आज हम्र नाची ओ गाई

आऊ, आज हम्र नाची ओ गाई मृदङ ओ सखीए भाका सुनाई जहाँ तुहार ओ म्वार रिस राग फे मेटी जहाँ रमैटी रलह हमार चलेबेटी ऊ नाच, ऊ गीतके खोजी...

सुनसरी जिल्लाके गढी गाउँपालिका २ गढीनाथमे आठौँ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलनसे नौ बुँदे घोषणापत्र जारी कर्ल बा । थारु लेखक संघ नेपाल ओ हौली परिवारके आयोजना तथा नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान,...

विषय प्रवेश नेपाल एकठो विविध भाषा संस्कृति रहनसहन हुइलक बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक मुलुक हो । हाल नेपालम वि.सं.२०७८ सालके जनगणनाअनुसार १४२ जाति, १२७ किसिमके भाषा रलक ओहर्से हरेक जातजातिनके...

यह २०८० पौष २८ थारुनके महान चाड माघ पर्वके अवसरम सुर्खेतके थारु कर्णाली प्रदेशके राजधानी वीरेन्द्रनगरके घण्टाघरके खुला मञ्चम लखागिन थारु उत्थान मञ्च, सुर्खेत, थारु कल्याणकारिणी सभा सुर्खेत ओ...

गजल

  झुमरा हुरडुंग्वा मघौटा सखियामे इतिहास बा । ढोलक टिम्की घुँघरु बसियामे इतिहास बा । चमचम सिटारा चम्कैटी सजके भुरभुर्रा उरैटी, टिकली फुली झोबन्ना मगियामे इतिहास बा । कट्रा सोहावन बा हमार...

मटाँवा फेर्ना माघ

माघे संक्रान्तिह माघी फे कैजाइठ । पश्चिउ नेपालके थारू समुदायमचाँहि यी पर्वह ‘माघ’ नाउले प्रचलित बा । थारू समुदायम लौव (नयाँ) वर्षारम्भ मन्ना माघ पर्वके सांस्कृतिक, धार्मिक ओ सामाजिक महŒवके दृष्टिले...