हरेक जातजातिके सभ्यताके विकास सँगसँग भाषा, कला, संस्कृति, मूल्यमान्यताके विकास हुइटि गैल ओ कालान्तरम मैगर संस्कृति बन पुगल । थारु जाति कला संस्कृतिम बहुट धनी ओ सम्पन्न...

डुलरवा छावा

    ‘अइ ! उ लवन्डा हेरो कैसे–कैसे करटा ?’ ‘अइ ! के हो ?’ ‘के रहि, सझ्लान बर्किक छुट्कि डुलरुवा छावा हुइन्, उहे हरबरिया, के रहि ।’ ‘यि, डबवा...

सुर्खेत: थारु भाषा साहित्यकार मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ क्षेत्रीय प्रतिभा पुरस्कार २०८० से पुरस्कृत हुइल बाट । साझा बिसौनी दैनिकके थारु भाषा विशेष परिशिष्टाङ्क ‘फूलुवार’ के सम्पादक ओ थारु मानक भाषा मस्यौदा...

गजल

थारु मनैनके भित्रर एकठो बाहार और मन रठिन् थारु मैननके आकासके टोरैया खसैना झन रठिन् कसिक फसैना मकरब जाल असक षडयन्त्र रच्ना बुझ निसेक्जिना हुकनक व्यवहार अनखन रठिन् कत्रा...

अन्टिम सास

भिटामे क्यालेन्डर बरे आरामसे झुरल बा । केने अक्को ठकाइ नै लग्ठिस् काहुन उहि । जबकि बिन नै औरे बरस पुग्ले उ अक्को बिसाइ नै पाइठ । मै जुन रत्नपार्कसे कीर्तिपुर टक...

  सामुदायिक र निजी दुनु तहके विद्यालयम थारु भाषा अनिवार्य लागु कर्ना बर्दियाके बारबर्दिया नगरपालिकामसे पहिल तयार कैगिल लिरौसी थारु भाषक स्थानीय पाठ्यक्रम बारबर्दिया गौरब (कक्षा १–३) के ३...

आज बद्री फे गुम्म बा । पानी पर्नासक करठ पानी फे पर निस्याकठो । जारक मार बुह्राइलबुह्राखारा पस्कक आँगीठे गिन्योर बैठल बाट । यी बरस महाजोरसे जार बह्रल बा ।...

स्वार्थले विषाक्त राजनीति

‘अनेक गरिन्छ तर सरकारलाई पूरै अवधि लगिन्छ । अनेक गर्ने भित्र हिजो–अस्तिका घटना पनि छन्’ प्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचण्ड’ले वैशाख २७ गते जनता समाजवादी पार्टी नेपाल फुटाली दिएको संकेत सार्वजनिक...

बटचिफ्ला

    शीर्षक हेर्टी कि बटचिफ्ला शव्दके अर्थ त अनुमान कै स्याकल हुइबी । यकर शाब्दिक अर्थ बट्वोइना सिपार, बहुत रसगर बात बट्वोइना कला विशेष, जसिक फेन आफन ओहर मोखलेना...

मुटु जर्टि रहठ

हे निष्ठुरी दैव ऊ अबोध बलुखा का बिरैल रह टुहार ऊ अलारी टुँसा भर्खर फुल्टी रलक सुग्घर फुलाह फक्र निपैइटी असिन अलारी उमेरम टु चिमोठ्ख लैगैलो हमार परिवारके सक्कु...

यह गैलक २०८१ बैशाख ८ गते शनिच्चर थारु लेखक संघ नेपालके धनगढीमे हुइल डुसरा जिल्ला अधिवेशन सम्पन्न हुइल बा । लेखक संघम फेनसे जीत बहादुर चौधरी ‘ट्रासन’ के अध्यक्ष बनल...

मनैनके च्वाला एक ताल जरम पैलसे मुख जैना प्राणी हो । ओहमार मानुखके जरम पाख हम्र यी धर्तीम कुछ कर परठ । आफन बाँचल संस्कृति, सभ्यता, मूल्य, मान्यता, रहनसहन,...