डुलरवा छावा
‘अइ ! उ लवन्डा हेरो कैसे–कैसे करटा ?’
‘अइ ! के हो ?’
‘के रहि, सझ्लान बर्किक छुट्कि डुलरुवा छावा हुइन्, उहे हरबरिया, के रहि ।’
‘यि, डबवा पैनाहस्, यकर डाइ–बाबा कुल नै हेरठुइस् कि का ?’
‘हेर्हिस् नै, नै डेख्ठो डाइ ओटठहें ठिल्कल् हेर्टिस् ।’
‘टे डाइ कुल कुछ नै कठिस् कि का ?’
‘कहिहिस्, यि डुलरुवा छावइहे । यिहिहे क्यो कुछ कहट् किल डाइ सुन्हिस् टे ठेठ्कि झराइ लग्ठिस् उल्टे ।’
‘कैसिके टे, यि लवन्डा डबवा पैनाहस्, जेकर सइकिल आइठ् छेँके जाइठ् ।’
हरबरिया ५ बर्सक् लवन्डा हो । उ आपन डाइ–बाबक् महा छिह्लाइल्, उ चाहे जौन मेरके काम करि डाइ–बाबा कुछ प्रवाह नै । एक टे उ छोट्हिसे हरबोङ्ग रहे । डाइ–बाबा छिह्ल्वइलक् ओरसे उ आउर हरबोङ्ग–हरबोङ्ग काम करक् सिख लेहल् । ओकर एकठो डिडि चम्फि बटिस् । उ महा घैखर, घरक काम खोब मनलगाके करठ् । सक्हुनसे मजासे बोलठ् लकिन ओकर डाइ कमलरियाहस् कैले रठिस् । कब्बो निक नै मन्ठिस् ।
जब हरबरियक घरक डग्रा सोझ कोइ मनै जैहिं टे कबो ढेला बगाइठ्, घनु ढूर भोंक् डेहठ् । कबो का मन हुइहिस टे गोबर, हिला, घिनाहुन–फुहर पानी छिट डेहठ् । उहेसे उ गल्लिमे नेगुइयन परेसान रठाँ । सइकिल, गारि–मोटर आइ टे उ डग्गर छेंके पुगठ् । यि सक्कु डेख्टि–डेख्टि फेन हरबरियक डाइ–बाबा कब्बो डोबे–ओबे नै जैठाँ । उ आपन मन्का करठ् ।
कोइ लवन्डैहे कुछ कैडिहिस् टे ओकर डाइ आगि झोंके लग्ठिस् । उहेसे गाउँक मनै फेन चुपाइल् रठाँ ।
स्कूलमे मढ्यन्टि हुइल टे सक्कु लर्का आपन–आपन मिझ्नि लेले बाहेर निकरलाँ । कोइ डँरवाँ ओर खेले निकरलाँ । कोइ कहोंर–कोइ कहाेंर, सक्कु कोठा खालि हुइल् अक्के घचिम् । हरबरिया आपन नन्लक मिझ्नि अन्गुट्टहिं खाके ओर्वा रख्ले रहे । उ आपन नानल् कौनो चाज कुहिहे खाइक् नै खेहठ्, अक्केलि खाइठ् । औरे जाने नन्लक खैना नैडिहिस् टे उ झगडा करे लागठ् ओ अँछोरे फेन लागठ् । यिहे बान डेख्के कोइ फेन खाइक, खेलक नै मिलैठिस् । खेलमे कबो हटि ट फेन घेँघाई लागठ् । उहेसे उहिहे कोइ फेन नै मिलैठिस् ।
आढा घण्टक् छुट्टिमे सक्कु जाने आपन–आपन खेलमे डँटल् बाँ । आझ सक्कु जाने आपन–आपन जोरिया पुगा डरलक् ओरसे हरबरिया अक्केलि हुगैल् । उ यहोंर–ओहाेंर गैल् कोइ नै मिलैलिस् । भोह्¥याइल् एक घचिक लर्कनके खेल बैठ्के हेरल् ओ फेन उठ्के कोइ मिलैठाँ कि कैह्के डोसर बगाल ओर सोझ्रल् ।
यहोंर हरबरियक् कक्षम् पर्हना खुर्बट्नी, फग्नी, चेंचवा ओ बुझ्ना आपन घरेसे नन्लक खिरा, लन्गी, निमुवाँ चारु जाने मिलके खैलाँ ओ स्कूलिक डँरवक् एक कोनवाँपर टिलो खेले भिंरल् बटाँ । चारु जाने कत्र मजासे मिलके टिलो खेल्टटाँ । हरबरिया ओइनहे डेखल् ओ सोंचल् यइने महिहे मिलैहिं, डौरटि आइल् ओ ‘लेऊ रे मैं कल्डुङ्गवा ।’
उहिहे आइट् डेख्के चेंचवा ‘लेउ यि गड्हाहे नै मिलाब ।’
सक्कु जाने ‘हाँ नै का यि कोर्हिया झगडाकिल खेलठ्, नै मिलैना हो ।’
हरबरिया अइटिकिल ‘लेउ मैं यहोंर लागटँु, टिन ढाल लागम् टे टिलो मर्न पाला आइ ।’
ओकर बाट् सुनके सक्कु जाने ‘नहिः टुँहिहे मिलैबे नै करब्, हम्रे मिलके खेल्टि टे ।’
‘सारन नै मिलैबो टे टिलो–उलो बगाडेम् ।’ नै मिलैनाहस् कैलिस् टे उ टिलो बगैना नाउँ लेहे लागल् ।
ओकर बाट् सुनके चेंचवा ‘ले बगा टे ?’
हरबरिया उठल् फुरे टिलो उठाके बगाडेहल् । बगाइबेर एकठो टिलो फग्नीक भाउँमे लग्लिस् उ ओटठहें चिल्लाई लागल् । टिलो बगैटिकिल् चेंचवा उहिहे बरे डूर टक रगेडल्, लकिन पक्रे भर नै सेकल् । यहोंर फग्नी डैया–बाबा कैटि चिल्लाइटहे । सक्कु जाने उहिहे फुस्लाई लग्लाँ ‘जिन रोउ फग्नु, काल्ह आइ टे सक्कु जाने मिलके पिटब् ।’ फग्नी संघरियन सम्झाइटटाँ कैह्के रोइक् छोरल् लकिन बरे घचिक सुस्करल् । ओसिन टे हरबरिया काल्ह बुझ्नक झुलुवा चिंठ्के रुवइले रहे, परौं खुर्बट्नीक भुटला नक्नकवाके । चेंचवा ठनिक भारि हुइलक ओरसे उहिहे पिटे नै सेक्ले रहे लकिन एक डिन स्कूल आइबेर ओर झुलुवामे गोबर फचक् डेले रहे, उहेसे उहिहे फेन रिस लागल् रहिस् । चारुजाने उहिसे सट्वा पैलक् ओरसे उहिहे सक्कु जाने मिलके एक डिन बड्ला लेना सल्लाह कैलाँ ओ घन्टि लग्लक ओरसे चारु जाने कोठा ओर लग्लाँ, हरबरियाभर डरके मरे आझ कोठामे फेन नै गैल् ।
डोसर डिन फेन मढ्यन्टिमे सक्कु जाने आपन–आपन ठाउँमे खेले भिँरलाँ, चेंचवा, खुर्बुट्नी, फग्नी ओ बुझ्ना आपन ठाउँमे आझ फेन टिलो खेल्टि रहिंट् । हरबरिया ओइनहे खेलट् डेख्के खेल्ना सौक लग्लिस् । रह¥याइलके मरे काल्हिक टिलो बगैलक् फेन बिस्रा डारल् । उ लुर्घुस्–लुर्घुस् ओइने ओर जाइ लागल् । यहोंर उहिहे आइट् डेख्के चेंचवा ‘कोर्हिया आइटा आझ फेन लेउ आझ सक्कु जाने मिलके पिटि टब चेटि नै टे अस्टे करल् करि ।’ सक्कु जाने ओकर बाटेमे हामि भरलाँ ।
उ अइटिकिल ‘अरेउ ! महिहे फेन मिलाउ ।’
चेंचवा ‘आ नरे ।’
चेंचवक बाट् सुनके उहिहे महा फोंिह लग्लिस् ओ हस्टि ‘लेउ मैं कल्डुङ्गवा ।’ कहटि टिलो बनैलक ठाउँमे का पुगल् रहे, चेंचवा कस् पोकरि ओकर आँखिमे मारल्् । उ ओटठहें घुस्मुरके घिघियाई लागल् । बुझ्ना यिहे मौका हो कैह्के टँग्रि पकरके घिंसियाइ लागल्, खुर्बुट्नी ओकर भुटला पकरके नक्नकवाइ लागल् । फग्नी हाँठक सुँइटीले सुँइट्–सुइट् गोरा ओ हाँठेम् ढैडेहल् । यहोँर चेंचवा आपन बड्ला उटारक् लग गोबरक् छोटाले ओकरमे फचक् डेहल् ओ मुहेंभर आँख–ओंख नै बिल्गैना मेर चबड् डेहल् । बुझ्ना झुलुवा चिंठ्लक् सम्झल् ओ उहो ओकर झुलुवा कल्लर पकरके चिठ्के डुइ छिम्मर पारडेहल् ओ लाटे–लाट् लगाके छोर डेलाँ । हरबरिया ओटठहें घिघिया–घिघिया रोइ लागल् । यहोंर घन्टि लग्टिकिल सक्कु जाने कोठा ओर लग्लाँ उ ओटठहें रोइटि रैह्गैल् ।
यहोंर हरबरिया घरे पुगल् टे डाइ डेख्लिस् । झुलुवा चिँठल्, आँगेभर गोबरकिल, हाँठ–गोरामे सोम्ला परल् । रोइलक आँस गाल समसम डनियाल् रहिस् । अभिन उ सुस्कर्टी रहे । अइसिन हालट डेख्के ओकर साँस छुट्गैलिस् । उहिहे का करु ? का नै करु हुगैलिस् । उ आपन रिस आपन छाइ चम्फीकमे झोंके लागल् । ‘अरि ! लर्का–ओर्का नै हेर्ठे कि का ? लर्कैहे अइसिके पिट्ले बटिस् ।’
चम्फी ओहोंर बोलल् ‘आपन छिह्लैला छावा डिनभ्र लर्कनसे झगडा खेल्टि रठिस् । स्कूल जाइटे लर्कनमे कबो ढूर झोंकि, कबो हिला फच्कि, कबो खेल्टि–खेल्टि टिलो बगाइ जाइ टे नै पिट्हिस् ? भल हो ।’ भलैया खवइलिस् उल्टे ।
‘ना बर्बरा नै टुहिं फेन झोंट्ना पकरके नक्नकवा डेम्, यकर का अकिल् ? छोट् लर्का टे हुगैल् ।’
चम्फी आपन डाइक बाट् सुनक् नै चाहल्, उ आपन कामेम चल्गैल् डाइ बर्बराइल् कैलिस् ।
सकारे खिडिया अँगना बहारे भिँरल् बा । उ गल्लिमे खेल्टा । सइकिल अइटिकिल् छेकठ्, घनु ढूर झेंकठ् मनैनपर । डुइ जाने टे उहिहे जोगैटि(जोगैटि ओटठहें घुस्मुरल् रहिंट् । खिडिया ओइनहे घुस्मुरट् डेख्के हाँसल् बेन आपन छावइहे एक अँख्रा नै डोबल् । यहोंर आपन भैवाहे ओसिक करट् डेख्के चम्फी ‘अरे ! हरब्वङ्गवा, का आपनसे भारि मनैनहे गिरैनाहस् कर्ठे ?’ अटना का बोल्ले रहे । खडिया ओहोंर टेँडुक काठिहस् चिर्चिराइ लग्लिस् । ‘खेले डे टे का, टोर कठेक् कर्रा पर्टा । यहोंर बर्बराइ आइटे, ओट्टि चल्जा ।’
छाइकहे गरियाइट् सुनके ओहोंर बाबा ‘अरि ! डोब्ना–ओब्ना हो कि, लर्कनहे ओस्टे गल्लिम् छोर्ले रनाँ हो ? छाइ ठिके टे कहटा ।’
ठरुवा फेन ओह्रे लाग्टा कैह्के सम्झल् काहुन् खिडिया, बस् उटे भूजा उल्रेहस् ‘टुहिनहे सहेरे पर्टा ? यहोंर बर्बराइ आइटो, छोट् लर्का टे हुगैल् । चलि नै का करि, यहाँ मोरठन् …. । का–का हो बर्बराइ लागल् ।
आपन गोसिनियक् गारि सुनके उ हटल् गिद्धहस् एक पाँजर ओहट्गैल् चुपचाप ।
यहोंर डाइक् बाट् सुनके चम्फी फेन ढेर बोलक नै चाहल् ओ ओटठेसे डूर चल्गैल् । उ हरबरिया ओस्टे करटि रहे । कुछबेर बेरमे एकठो सइकिल आइल् । हरबरियाहे झुकाइट्–झुकाइट् भट्भेरवा डेहल् ओक्रेमे । अस्सा गिरल् हरबरिया मुहे–नाके रकट आइलग्लिस् । सइकिलिक टिल्लिमे अँटकके हाँठक अँगरि फेन मनके कुँच गैलिस् । ओटठहें डैया–बाबा हुगैलिस् । एक्के घचिक मनै फेन जुट्गैलाँ । चोट लगैलक् ओरसे सक्कु जाने सइकिल् चलुइयक गल्टि डेखाइलग्लिस् । गल्लिमे नेंग्ना–घुम्ना मनैनहे चलैटि रहना हरबरियक गल्टि कोइ टिगाइ नै सेकल् । सबके बल पाके डाइ सइकिलहवइहे अब्बे मारुँ, टब्बे मारुँ करे लग्लिस् । विचरा ! सइकिलहवा फेन आपन गल्टि महसुस कैल् । सक्कु जाने चोट लगैलक् विरुवा–बाडि करक् पाँच सय रूपैयाँ टोक डेलाँ । पैसा पाके हरबरियक डाइ खुस हुगैलिस् । लर्का डोब्नाओर नैलागल्, हरबरिया अभिन ओस्टे बा ।
आझ स्कूलिमे रजेल्टा सुनैना हुइल् बा । सक्कु जाने लर्का आपन बरस भरिक मेहनटके परिनाम सुने जाइटहिंट् । लर्का डगरे–डगरे कुड्गटि–छट्कटि स्कूल आइलाँ । चम्फीकसंगे हरबरिया फेन कुड्गटि स्कूल आइल् । चेंचवा, फग्नी, बुझ्ना ओ खुर्बुट्नी ओकरले पहिलेहें स्कूल पुगरख्ले रहिंट् । चम्फी ठनिक भारि रहे उहेसे उ ४ कक्षामे पर्हे । ओकर रजेल्टा भिटामे टाँसल् रहिस् । ओकर नाउँ सबसे पहिले लिखल् रहिस्, उ कक्षा फष्ट हुइल रहे । एक डुइ कक्षक लर्कनकेभर मस्टरवन् सुनैलाँ । सुनाइबेर चेंचवा, खुर्बुट्नी, फग्नी, बुझ्ना पास कैह्के सुनैलाँ । हरबरियक नाउँ नै अइलिस् । उ महाढ्यान ढैके ओनाइटहे, मास्टर कब मोर नाउँ सुनैहिं कैह्के सोचे लकिन सक्हुनके नाउँ सुनाइट् सम ओकर नाउँ नै अइलिस् । उ सम्झल् मास्टर मोर नाउँ कहक् छुटाडेलाँ ओ चिल्लाइल् ‘मस्टर मोर नाउँ नै आइल् ।’
सक्कु लर्का उहिहे हेर्टि हाँसे लग्लिस् लकिन का करे हँसलाँ उ कौनो मटलब नै कैल् । जब मास्टर ‘हरबारि टुँ टे फेल हुगैलो ।’ कैह्के कलिस् । उ ढेबर बिच्कैटि ओटठेंहें रोइलागल् । अभिन सक्कु जाने ठोपरि मारके हाँस डेलिस् । उहिहे अभिन भोहर लग्लिस् । उ घर्फरा–घर्फरा रोइलागल् । पाछे ओर डिडि चम्फी सुफ्लाके घरे नन्लिस् ।
यहोंर ओकर डाइ खिडिया यि बाट सुन्लिस् टे मस्टरवनहे सराप–सराप गरियाइल् लेकिन कब्बो नै सम्झल् कि मोर लर्का स्कूल जाके कब्बो कक्षामे पर्हठ् कि नै ? सक्हुनसे मिलके बैठठ् कि ? मोर छावा कैसिन बा ? कैह्के । जब हरबरिया स्कूल जाए टे ढुपौरापरसे कुडुक–कुडुक लहाइ जैना, बिजलिक खम्हाँपर चौंहरके घिँरघिरिया खेल्ना, सरकेम् मोटर छेँक्ना, ढुङ्गा लब्डैना, आपनसे छोट लर्कनहे पिट्ना ओ एकडम भाग–भाग घरे अइना करे । ओकर अइसिन बान डेख्के स्कुलिक मास्टरलोग फेन ओकर डाइक् ठन कैयौंबेर टुहिनके लर्का बड्मसै करठ् ठनिक सुग्घरके सहेर्हाे कहेबेर, ‘छोट लर्का टे हुगैल्, भारि हुइटे अकिल् नैअइहिस् कि का सम्झाइ अइठो’ कैह्के डम्काके पठाए ।
चेंचवा डौरट् अफिस कोठामे आइल् । ‘सर ! हरबरियइहे मोटर डाबडेलिस् ।’
मास्टर डहपटल् ‘कहाँ रे !’
‘सरकमे सर !’
‘चुक्–चुक्, यि लवन्डा कहिया नै से डबवा पैनाहस् करे । आझ… ।’
सक्कु जाने सरक ओर हेरे गैलाँ । सडकमे मनै गजुगज रहिंट् । हरबरिया रक्तेरोहुन रहे । एक घचिक फक्कर–फक्कर साँस फेरल् । बाँकि उ सडा डिनिक लग चलागैल् यि डुनियाँ छोरके । हरबरियक डाइ खडिया उहिहे कोनामे लेले रोइटिस् । जब मास्टर ओहाँ पुग्लाँ टे खिडिया हेरल् । ओकर हेराइमे पस्टोके भाव झल्कटहिस् । उ मास्टरहे ढेरबेर टे हेरे नैसेकल् लकिन एक अँख्रा बोलल् ‘मस्टरवा भैया, मोरे पर्साडे यि लर्कक अइसिन कर्नि हुगैलिस् ।’ उ फेन लोट्–लोट् ओटठहें रोइ लागल् । मास्टरके आँखिम्से फेन आँख गिर्लिन् । गाउँक मनै हरबरियक मौटमे चुक्चुकैलाँ । खिडिया आपन डुलारु छावा सम्झठ् । नै मजा काममे फेन कब्बो रोकछेक नै कैके छावा छिह्लैलक फेन सम्झठ् ओ जिन्गीभर पस्टैटि रहठ्, पस्टैटि रहठ् ।
-छविलाल कोपिला
प्रकाशित मितिः ९ श्रावण २०८१, बुधबार ०५:०४
छविलाल कोपिला ।