थारु समुदायम रलक मौलिक डकुमेन्ट्री संख्या नाच गीतको लोकार्पण

सुर्खेत: यह गैलक कार्तिक २५ गतेक दिन वीरेन्द्रनगरम एक समारोहके बिच थारु लोक ऐतिहासिक, पौराणिक विषय संस्कृति झल्कना थारु समुदायके सख्या नाच गीतके लघु चलचित्र (डकुमेन्ट्री) सार्वजनिक कैगिल बा । लखागिन थारु उत्थान मञ्च सुर्खेतके मूल व्यार्नर ओ थारु कल्याणकारणी सभाके समन्वयम निर्मित सुर्खेतम सुटिङ कैगिल सख्या नाच गीतको डकुमेन्ट्रीके थारु संस्कृतिविद अनुसन्धाता मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ के लेखन तथा निर्देशनम तयार कैगिलक हो । मञ्चके संरक्षक समाजसेवी निर्माता शनिश्रा महतमके उत्पादनम निर्माण कैगिल डकुमेन्ट्रीके छायांकन तथा सम्पादन दीर्ग चौधरी कर्ल बाट । कार्यक्रमके बर्का पहुना एवम् मध्यपरिश्चमाञ्चल विश्वविद्यालयका पूर्व रजिष्टार एवम् त्रि.वि.का उपप्रध्यापक डा. महेन्द्र कुमार मल्ल सुर्खेत उपत्यकाका मुल आदिवासीको रुपमा चिहिन्जिना थारु जातिके लोक संस्कृति लोप हुइटी गैल अवस्थाम सख्या नाच गीतको डकुमेन्ट्री कोसेढुङ्गा सावित बात ढर्ल । पहिचान मौलिकताम आधारित रहठ । संस्कृतिह अतिक्रमित हुई दिहक निहुइट । आफन पहिचान संस्कृति बचैलसे किल अधिकार स्थपित हुइठ । यी डकुमेन्ट्री हेर ब्याला छोटी लग्लसे फेन कालान्तारम यी डकुमेन्ट्री बराभारी महत्व रख्ना बात बाटोइल । संस्कृतिले इतिहास बोलठ, जीवनशैलीह जनाइठ । संस्कृति हरेक जातजातिनके रहनसहन जीवनशैली हुइलक ओहर्से ज्ञानके अथाह भण्डार हो । गीत संस्कति समाजके दर्पण हो । असिन रचनात्मक कार्यम युवापुस्ता ध्यानदिह पर्नाम जोड देल । अप्न फे थारु समुदायम हुर्कलक कारणले परम्परागत चालचलन नाच गीतके दृश्यले पुरान थारु गाउँघरके सम्झना अइलक बटोइल । सुर्खेतके थारु समुदायके हस्ती मानबहादुर पन्ना आफन शिष्य हुइलक ओहर्से असिन मजा काम कर्लकम गौरवके अनुभूति हुइलक जानकारी करैल ।

सुर्खेतके समाजसेवी तथा वरिष्ठ अधिवक्ता धुु्रब कुमार श्रेष्ठ– अप्न बालापनठेसे नै थारु समुदायम हुर्कलक ओहर्से थारु समुदायके कला संस्कृतिप्रति सदैव सद्भाव ओ सहयोग रहना बात ढर्ल । छोटीसे नै अप्न फे सख्या नाचम सहभागी हुइलक बात व्यक्त कर्ल । लखागिन थारु उत्थान मञ्च सुर्खेत संस्थासे निर्माण करल डकुमेन्ट्रीले थारुनके पहिचान बचैना अभियान सुरु हुइलक महसुस कर्लक बात बटोइल ।

सुर्खेतके वरिष्ठ थारु सहित्यकार एवम् थारु संस्कृतिविद, अनुसन्धाता मान बहादुर चौधरी पन्ना लघु चलचित्र (डकुमेन्ट्री)म थारु समुदायम रहल विभिन्न चाडपर्व, गीत, संस्कृतिमध्ये सख्या नाच थारुनके ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व बोकल संस्कृति हो । यी सख्या नाच हरेक वर्षके दस्यासे आघ कृष्णजन्माअष्टमि अट्वारी पर्वपाछ सुरु कैजिना सख्या नाच दस्या तिहारसम नाच्जिना संस्कृति हो । यी सख्या गीतम १५ ठो खण्ड ओ ३३ सय श्लोक बा जुन महाभारतकालीन कृष्णके डाई देवकी (जासु), बाबा वासुदेव (इसरु) ,कृष्ण (कान्हा), कंस, राधासे सम्बन्धित बा । ओसहख गीतम संसारके सृष्टि कसिक हुइल ? संसारके सृष्टिसँगसँग सुरुम यी धर्तीम का काउत्पत्ति हुइल ? मानव जाति यी धर्तिम कसिक जीवन सङ्घर्ष कर्ल ? खेतिपातिक सुरुवात कसिक हुइल ? कना बातके आख्यान सख्या नाच गीतम रलक बात धर्ल ।

डकुमेन्ट्रीम परम्परागत रुपम थारु समुदायम नाच्जिना सख्या नाचम सक्नु उमेर समूहके नचनेन्, मन्दरेन् । गाउँके भद्रभलाद्मी जम्मा होख, कचेहरीम सरसल्लाह कैख, गुरुवा केसौका (गाउँका तन्त्रमन्त्र जान्ने ) से गुरै (पूजापाठ) कैख । अग्घ्वा मन्दर¥या, पछ्वा मन्द¥या ओसहख गीत गौना नचनेन्के लिडर (मोह्रिन्या) र पश्गिन्या छान्ख बराभारी समूहम नाच्जिना नाच हो । ओहमार यकर सामाजिक महत्व फे बहुत बा । धार्मिक दृष्टिले फे यी सख्या नाच नाच ब्याला सबसे पैल्ह देवी देउतन समझख किल नच्चा कैजाइठ । जस्त कि पूरुबके सूर्य दिउता, पश्चिमके रमझम देवी, उत्तरके हरिकविलास, दक्षिणके शिव जगन्नाथ, आकाशके इन्द्र ओ चन्द्र र पातालके वासुकी नाग, आदिके स्तुति गान कैजाइठ । ओसहख पाँच पाण्डप, देउतीबज्यै, अन्य गाउँको भुइ भुइह्यार साझा देउथानका देउतालाई पुकारा कैख नाच्जिना हुइलक ओहर्से यकर धार्मिक महŒव पनि उत्तिकै रहल बा । गाउँके छोटछोट लर्कापर्काठेसे वयस्क उमेरके बठिन्या, ठ¥या, जन्नी (महिला), (थारु) पुरुष सबजहनके उपस्थितिम नाच्जिना हुइलक कारण सांस्कृतिक महत्वके दृष्टिले फे बहुत चर्चित संस्कृति हो । गाउँगाउँम रहल धर्म, संस्कृति, रहनसहन, चालचलन, गरगहना, थारु समुदायके मौलिक पहिचान हुइलक ओहर्से असिन ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व बोकल नाच, गीत लोप हुइना अवस्थाम पुग्लक ओहर्से यकर खोजिनीति कर्ना, संरक्षण संवद्र्धन कर्ना आझुक आवश्यकता ओ तथ्यह बुझ्ख सख्या नाच गीतके निर्माण कैगिल बात निर्देशक मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ कल ।

डकुमेन्ट्रीके समाजसेवी निर्माता शनिश्रा दहित महतम –थारु समुदायम रलक थुप्रै धेर लोक संस्कृति रहल बाट । झुमरा, हुरदङ्ग्वा, मघौटा, मुङ्ग्रह्वा आदि मध्य थारु सख्या नाच पौराणिक ऐतिहासिक गाथाम आधारित नाच ओ गीत हुइलक ओहर्से यकर बेग्लै महत्व बा । थारु समुदायम करिब ३ महिनासम्म नाच्जिना यी नाचम बहुत धेर नचनेन्, मन्डरेन्के सहभागिताम नाच्जाइठ । बिचबिचम दर्जनौ मन्द्रक तालम फरक फरक पैया नाचसमेत नच्ना नाचभित्तर धेर मेरिक मनोरन्जनात्मक पाटा समेटगिल रहठ कल । यी डकुमेन्ट्रीले थारुनके मौलिकपन पक्रल बा । नाच ब्याला, गाइ ब्याला प्रयोग कैगिल लोक बाजा मन्द्रा, मन्जिराके प्रयोग, पूजाविधि, सक्कु पक्ष मजा बा । यिही मजा बनाइक लाग अह्मिन दिउता बैठिलक ओ सम्ह्रौती गीतको भागह फे सम्याटसेक्लसे सुनमा सुगन्ध हुइना बातम सुझाउ देल । सख्या नाच थारु समुदायके भेषभुषा, लोक कला, लोक साहित्य, संस्कृति पहिचानसे जोरजिना हुइलक ओहर्से लगानी कैगिलक बटोइल । थारु लोक परम्परा संस्कृति दिनप्रतिदिन लोप हुइना क्रमम रहल बा । यिहीह पुरान पुस्ताके ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक र सामाजिक महत्व बोकल असिन नाचह जीवन्त ढरक लाग युवा पुस्ताह पुस्तानतरण कर्ना उद्देश्यले डकुमेन्ट्री निर्माण कर्लक बटोइल ।

कार्यक्रमम थारु अगुवा जागुराम थारुले डकुमेन्ट्रीेको टिप्पणी कर्टि–संस्कृति मानव जातिकै उपज हुइलक ओहर्से आझुक परिवर्तनशील समयम यकर मौलिकपनके संरक्षण गीत, चालचलन र परम्परागत पहिचानले सुर्खेतके थारु समुदायके गौरव बह्रैलक बात ढर्ल । कार्यक्रमके सञ्चालन राष्ट्रिय थारु कलाकार मञ्चके अध्यक्ष राजु चौधरीले कर्ल रलह कलसे कार्यक्रमके स्वागत लखागिन थारु उत्थान मञ्चके उपाध्यक्ष लोक बहादुर चौधरी कर्ल रलह ।

कार्यक्रमम सख्या नाच गीत डकुमेन्ट्रीके निर्माता शनिश्रा महतम र गुरुवा औसिया थारुलाई सम्मान कैगिल रह ओ सख्या नाचके कलाकार हुकहन प्रमाण पत्र प्रदान कैगिल रह ।

प्रकाशित मितिः   १३ मंसिर २०८०, बुधबार ०५:०१